भारत ही एकमात्र देश है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी संस्कृति को बचाए हुए है- राज्यपाल

भारत ही एकमात्र देश है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी संस्कृति को बचाए हुए है- राज्यपाल

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-14 16:40 GMT
भारत ही एकमात्र देश है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी संस्कृति को बचाए हुए है- राज्यपाल



डिजिटल डेस्क जबलपुर। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव देश की विविधता भरी संस्कृति में सामंजस्य बैठाने का अनूठा प्रयास है।  इस कला संगम में सम्पूर्ण भारत के दर्शन हो रहे हैं। उक्त उद्गार प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने   शहीद स्मारक प्रांगण में आयोजित 10वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के उद्घोटन अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि विश्व में भारत ही एकमात्र देश है, जो तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी संस्कृति को बचाए हुए हैं। विश्व में यूनान, मिश्र, रोम जैसी कई सभ्यताएँ और संस्कृति समय के साथ खत्म हो गईं, लेकिन यह भारतीय संस्कृति की अमरता ही है कि आम जनमानस से लेकर सुदूर जंगलों में बसे आदिवासी तक अपनी संस्कृति को बचाए हुए है। इसी की बदौलत भारत की पहचान एक विश्वगुरू के रूप में है।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन संस्कारधानी में होने से सही मायने में इसकी सार्थकता सिद्ध हुई है। अब तक यह आयोजन महानगरों की शोभा रहा है। देश की विविधता भरी संस्कृति को हर क्षेत्र में पहचान मिले, इसके लिए पहली बार इस महोत्सव के लिए बी श्रेणी के शहरों का चयन किया गया है। इसके साथ ही इस मंच पर न सिर्फ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध कलाकारों को मौका दिया जा रहा है, बल्कि विभिन्न प्रदेशों के क्षेत्रीय कलाकारों को भी राष्ट्रीय पहचान दिलाने का प्रयास किया है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय आगे भी इसी दिशा में काम करेगा और देश के गाँव,गाँव में क्षेत्रीय कलाकारों की मैपिंग होगी। इस दिशा में समाज और सरकारें मिलकर आगे बढ़ेगीं, जिससे देश की संस्कृति मजबूत हो। श्री पटेल ने कहा कि उत्सवों के इस देश की संस्कृति को साझा करने पूरा विश्व आतुर है। हम भी अपनी संस्कृति को एक बार फिर  वैश्विक पहचान दिलाएँगे। उन्होंने युवाओं से आव्हान किया कि वह राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे उत्सवों से जुड़कर देश की कला और कलाकारों को पहचानें, उन्हें उचित सम्मान दें। इस अवसर पर संस्कृति विभाग के सचिव अरुण गोयल, महापोर डॉ.स्वाति गोडबोले, विधायक अजय विश्नोई, जालम सिंह पटेल, अशोक रोहाणी, श्रीमति नंदनी मरावी, धमेन्द्र लोधी आदि प्रमुखजन मौजूद थे। उद्घाटन सत्र पर संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद सरभाई ने आभार प्रदर्शन किया। साथ ही इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव पी एल साहू, निरूपमा कोटरु व प्रणव खुल्लर की गरिमामय उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
नगाड़ा बजाकर महोत्सव का भव्य शुभारंभ-
महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ मुख्य अतिथि माननीय राज्यपाल  लालजी टंडन एवं केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल व  महापौर डॉ. स्वाति गोडबोले ने नगाड़ा बजाकर किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति लोककला के साथ हुई। इसके बाद पंडित विश्व मोहन भट्ट एवं समूह ने संगीत से शमाँ बांधा। संगीत से सजी इस शाम के दूसरे चरण म शोभना नारायण एवं समूह द्वारा दी गई कथक नृत्य की प्रस्तुति भी लाजवाब रही। सुरमई शाम के इस सफर को आगे बढ़ाते हुए  पाश्र्व गायक  सुरेश वाडकर ने एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति के साथ राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव की इस शाम को संस्कारधानी वासियों के लिए यादगार बना दिया। महोत्सव में संभाग भर से कला प्रेमी पहुँचे और आयोजन का लुत्फ उठाने के साथ ही हस्तशिल्प मेले में खरीदारी की। साथ ही अनेक राज्यों के व्यंजनों का स्वाद लिया।

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