सेवानिवृत्त लेखापाल की पेंशन रोकने पर इंदुलकर हटे, सारस्वत बने डीन

रीवा सेवानिवृत्त लेखापाल की पेंशन रोकने पर इंदुलकर हटे, सारस्वत बने डीन

Ankita Rai
Update: 2022-03-05 09:38 GMT
सेवानिवृत्त लेखापाल की पेंशन रोकने पर इंदुलकर हटे, सारस्वत बने डीन

डिजिटल डेस्क, रीवा ।श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. मनोज इंदुलकर को इस प्रभार से मुक्त कर दिया गया है। आगामी आदेश तक के लिए त्वचा रोग विभाग के डॉ. देवेश सारस्वत को यह दायित्व सौंपा गया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के उप सचिव केके दुबे द्वारा जारी आदेश  में कहा गया है कि डॉ. मनोज इंदुलकर प्रभारी अधिष्ठाता  चिकित्सा महाविद्यालय रीवा द्वारा अपने कार्य क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर मप्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम १९७६ का उल्लंघन कर बीके शुक्ला सेवानिवृत्त लेखापाल के विरूद्ध आरोप पत्रादि आदि जारी किए गए है। उक्त कृत्य के लिए डॉ. मनोज इंदुलकर रीवा अधिष्ठाता के प्रभार से मुक्त करते हुए इनकी दो वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से  रोकी जाती है।
यह है मामला
मेडिकल कॉलेज में लेखापाल के पद से बीके शुक्ला ३१ जुलाई २०२१ को सेवानिवृत्त हुए थे। लेकिन इन्हें आज तक पेंशन नहीं मिली। इनकी पेंशन यह कहते हुए रोकी गई थी कि बीके शुक्ला के विरूद्ध जांच कार्रवाई प्रचलित में है। सेवानिवृत्त होने के बाद विभागीय जांच शुरू कराई गई। डॅा. पीके लखटकिया को जांच अधिकारी बनाया गया। यह जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। उधर बीके शुक्ला का कहना था कि उनके विरूद्ध कोई भी जांच लम्बित नहीं थी। किसी पेंशनर्स की विभागीय जांच राज्यपाल की अनुमति से ही हो सकती है। लेकिन डीन द्वारा इसका पालन नहीं किया गया। जिस पर बीके शुक्ला ने उच्च स्तर पर शिकायत की गई। जिस पर यह एक्शन लिया गया है।
आरोप पत्र निरस्त
चिकित्सा शिक्षा विभाग के उप सचिव द्वारा इस संबंध में जारी एक अन्य आदेश के तहत सेवानिवृत्त लेखापाल बीके शुक्ला के विरूद्ध जारी आरोप पत्र तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए गए हैं। जारी आदेश में कहा गया है कि सेवानिवृत्त लेखापाल के विरूद्ध ३० सितम्बर २०२१ को जारी आरोप पत्र मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम १९७६ के प्रावधानों के अंतर्गत न होने के कारण तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है।

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