सरकारी स्कूलों में निरीक्षण कर Whatsapp से फोटो भेजेंगे जांचकर्ता

सरकारी स्कूलों में निरीक्षण कर Whatsapp से फोटो भेजेंगे जांचकर्ता

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-30 11:24 GMT
सरकारी स्कूलों में निरीक्षण कर Whatsapp से फोटो भेजेंगे जांचकर्ता

डिजिटल डेस्क, शहडोल। सरकार एक ओर शत-प्रतिशत शाला प्रवेश तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर बल दे रहा है लेकिन दूसरी ओर स्कूलें बदहाल दिखलाई पड़तीं हैं।  इन स्थितियों में सुधार लाने शासन के निर्देश के परिपालन में सभी स्कूलों की फोटोग्राफी कराई जा रही है और बच्चों के शैक्षणिक स्तर का परीक्षण किया जा रहा है। 

गौरतलब है कि जिले में संचालित 2127 प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं में से ज्यादातर बुरी स्थिति में हैं। 497 स्कूलों में शिक्षकों का अभाव बना हुआ है, जबकि 44 स्कूलों के भवन जर्जर हैं और 1130 स्कूलें ऐसी हैं जहां बाउण्ड्रीवाल नहीं है। जिला शिक्षा केन्द्र द्वारा बीएसी व सीएसी को शाला परीक्षण कर रोजाना फोटो भेजने के निर्देश दिए गए हैं। वास्तविक स्थिति सामने आने के बाद इनमें वांछित सुधार किया जाएगा। जिले में शालाओं के जांचकर्ता बीएसी व सीएसी 58 बताए गए हैं।

जांचकर्ता पढ़ांएगे भी व फोटो भेजेंगे

बताया गया कि बीएसी व सीएसी जिन स्कूल का जायजा लेने जाएंगे, वहां अनिवार्यत: बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता देखेंगे। इसके बाद कमी के अनुरूप वे बच्चों की कक्षाएं लेकर उस कमी को दूर करेंगे। बच्चों को पहाड़ा बोध कराने के साथ ही गणित व विज्ञान विषय की जानकारी देगें। साथ ही शिक्षकों को रुचिपूर्ण तथा सरल अध्यापन विधि से अवगत कराएंगे। जांचकर्ता पूरे विद्यालय की स्थिति जिला शिक्षा केन्द्र को मोबाइल से फोटो का Whatsapp करेंगे और चित्रों के साथ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। कई संकलित चित्र भोपाल भी भेजे जा सकते हैं। प्रत्येक बीएसी व सीएसी न्यूनतम दो स्कूलों का भ्रमण करेगा

बदहाल भवनों का  होगा आकलन

जिले की जिन 40 स्कूलों के भवन जर्जर हैं उनकी स्थिति यह है कि रखरखाव बिना छत का प्लास्टर उखड़ गया है। वर्षा का पानी अंदर कमरों में घुसता है और कक्षाएं प्रभावित होतीं हैं, वर्षा होने के कारण बच्चों की अक्सर छुट्टी कर दी जाती है। इस स्थिति में सुधार लाने वर्षों से हेडमास्टर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करा रहे हैं लेकिन सुधार नहीं हुआ। जिन स्कूलों में अभी तक बाउण्ड्रीवाल नहीं बनी और आवारा मवेशी घुसते हैं, ऐसी सभी स्कूलों की दशा के चित्र लिए जाएंगे और उन्हे शासन को उपलब्ध कराया जाएगा ताकि उनका निराकरण हो सके।

एक साथ बैठाकर लगा रहे कक्षाएं 

गांव के कई प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलें ऐसी हैं जहां दो या तीन शिक्षकों की बजाय मात्र एक शिक्षक हैं। इस कमी के कारण कक्षाओं का सही ढंग से संचालन नहीं हो पाता है। प्रायमरी में एक शिक्षक सभी बच्चों को एक साथ बैठाकर उन्हें विद्यालय अवधि तक घेरे रहता है और पढ़ाई कराने की बजाय टाइम पास करता है। जबकि चौथी व पांचवी की कक्षाएं अलग संचालित की जानी चाहिए। माध्यमिक शालाओं में दो कक्षाएं एक साथ संचालित कर समय बिताया जा रहा है। अतिथि शिक्षकों की भर्ती की प्रतीक्षा की जा रही है। अतिथि शिक्षकों की भर्ती संभवत: सितंबर तक हो पाएगी। तब तक इन स्कूलों का यही हाल रहेगा। 
 

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