सच बाहर आने से रोकने एनआईए को सौंपी जांचः शरद पवार

सच बाहर आने से रोकने एनआईए को सौंपी जांचः शरद पवार

Anita Peddulwar
Update: 2020-01-25 12:57 GMT
सच बाहर आने से रोकने एनआईए को सौंपी जांचः शरद पवार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौपे जानी की कांग्रेस-राकांपा ने निंदा की है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि कानून व्यवस्था का मामला राज्य सरकार का होता है, ऐसे में इस मामले की जांच केंद्र सरकार द्वारा एनआईए को देना गलत है।    

शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में पवार ने कहा कि सच्चाई बाहर न आने पाए इस लिए केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में जिन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, उसकी जांच होने चाहिए। इसको लेकर मैंने महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखा था। इससे पहले केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में मामले की जांच एनआईए कौ सौप दी है। पवार ने कहा कि अन्याय के खिलाफ बोलने का अर्थ नक्सलवाद नहीं है। राकांपा प्रवक्ता एवं राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि यह राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार के गलत कारनामों को छिपाने के लिए केंद्र का प्रयास है। 

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सचिव सावंत ने ट्वीट कर कहा कि महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार द्वारा पुणे पुलिस की जांच की पुन: जांच कराने की प्रक्रिया शुरू किए जाने के बाद भीमा कोरेगांव दंगा मामले को अचानक एनआईए द्वारा अपने हाथ में लेना भाजपा की साजिश की पुष्टि करता है। एनआईए को इस मामले की जांच हाथ में लेने के लिए दो साल का वक्त क्यों लगा? उन्होंने कहा-एनआईए को यह मालूम चलने में दो साल क्यों लगे कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। इस फैसले की कड़ी निंदा करता हूं। गौरतलब है कि पवार के पत्र के बाद राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने भीमा-कोरेगांव मामले को लेकर समीक्षा बैठक की थी और इसकी जांच के लिए एसआईटी बनाने का विचार किया था। उसके पहले केंद्र सरकार ने मामले की जांच एनआईए को सौप दी।  पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्र के फैसले का स्वागत किया है।

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