सिंचाई घोटाला प्रकरण: जांच पर रहेगी कोर्ट की निगरानी

सिंचाई घोटाला प्रकरण: जांच पर रहेगी कोर्ट की निगरानी

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-04 08:08 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ के बहुचर्चित सिंचाई घोटाले पर केंद्रित जनहित याचिका को अंतिम सुनवाई के लिए दायर कर लिया है। अब से नियमित अंतराल पर मामले में सुनवाई होगी और जांच की प्रगति पर हाईकोर्ट की नजर रहेगी। कोर्ट ने मामले में एसीबी से दो सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। 

जांच कई-कई महीने लंबित, उठाए सवाल 

हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता अतुल जगताप और जनमंच संगठन ने स्वतंत्र जनहित याचिकाएं दायर की हैं, जिस पर कोर्ट एक साथ सुनवाई ले रहा है। इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार का भी नाम शामिल है। याचिकाकर्ता के अनुसार, जिगांव, लोअर पेढ़ी, रायगढ़ और वाघाड़ी प्रकल्पों का निर्माणकार्य करने वाले बाजोरिया कंस्ट्रक्शन के रमेशचंद्र बाजोरिया और संदीप बाजोरिया को केवल दो मामलों में आरोपी बनाया गया, जबकि उन्हें चारों मामलों में आरोपी बनाया जाना चाहिए था। याचिकाकर्ता जनमंच के अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा ने कोर्ट में दलील दी कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक 7 दिन में खुली जांच पूरी कर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए, मगर सिंचाई प्रकल्पों की खुली जांच कई-कई महीने लंबित रहती है और दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। मामले में अजित पवार सहित अन्य कई नाम सामने आए हैं जिसकी जांच जारी है।

पवार की नजदीकी का फायदा उठाने का आरोप

याचिकाकर्ता का आरोप है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार से नजदीकियों के चलते बाजोरिया कंस्ट्रक्शन कंपनी को सिंचाई प्रकल्पों के कांट्रैक्ट मिले हैं। दावा है कि कांट्रैक्ट हथियाने के लिए कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। पूर्व में एसीबी ने कोर्ट में स्पष्ट किया था कि संदीप बाजोरिया की कंस्ट्रक्शंस कंपनी के पास जिगांव प्रकल्प के काम का ठेका प्राप्त करने के लिए जरूरी पात्रता नहीं थी, इसके बाद भी निरीक्षण समिति ने उसे पात्र करार दिया। एसीबी ने बाजोरिया समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 

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