14 दिन की न्यायिक हिरासत में कालीचरण महाराज, जमानत पर 14 को सुनवाई 

वर्धा 14 दिन की न्यायिक हिरासत में कालीचरण महाराज, जमानत पर 14 को सुनवाई 

Tejinder Singh
Update: 2022-01-13 13:41 GMT
14 दिन की न्यायिक हिरासत में कालीचरण महाराज, जमानत पर 14 को सुनवाई 

डिजिटल डेस्क, वर्धा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे मेें धर्मसंसद में कालीचरणदास महाराज ने अपशब्द कहे। इस मामले में वर्धा शहर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। आरोपी कालीचरण महाराज की जमानत पर 14 को सुनवाई होगी। उसे मंगलवार को रायपुर छत्तीसगड़ से गिरफ्तार कर वर्धा जिला सत्र न्यायालय में बुधवार को सुबह 11 बजे पेश किया गया। न्यायाधीश ने कालीचरण महाराज को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। कालीचरणदास महाराज को जेल भेजा गया

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अपशब्द का प्रयोग करने वाले कालीचरण महाराज के खिलाफ वर्धा जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से 26 दिसंबर 2021 को शिकायत की गई थी, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया था।

कालीचरणदास महाराज के वक्तव्य के खिलाफ वर्धा जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मनोज चांदूरकर ने वर्धा शहर थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत पर वर्धा शहर पुलिस ने 26 दिसंबर 2021 को कालीचरण महाराज के खिलाफ धारा 294, 505(2) के तहत मामला दर्ज किया था।  वर्धा शहर पुलिस दल ने मंगलवार को छत्तीसगड़ के रायपुर सेंट्रल जेल जाकर कालीचरण महाराज को अपनी हिरासत में लिया। उसके बाद शहर पुलिस ने उन्हंे वर्धा लाया गया। पुलिस के कड़े बंदोबस्त में सेवाग्राम पुलिस थाने में बीते रात रखा गया।

बुधवार की सुबह 11 बजे कडे़ बंदोबस्त में वर्धा न्यायालय के न्यायाधीश एम.वाय. नेमाडे के कोर्ट में पेश किया गया। दोनो पक्षों की सुनने के बाद न्यायाधीश नेमाडे ने कालीचरण महाराज को 14 दिन की न्यायालयीन कैद सुनायी। कालीचरण महाराज के वकील विशाल टिबडेवाल ने कोर्ट में दोपहर के समक्ष जमानत अर्जी पेश किया. कालीचरण महाराज को देखने के लिए वर्धा न्यायालय परिसर में भारी भीड जमा हो गई थी.
 
रायपुर में दिया था विवादित बयान

छत्तीसगढ राज्य के रायपुर शहर में हिन्दू धर्म के संतों की बीते 25 से 26 दिसंबर को धर्मसंसद हुई थी। इस धर्म संसद में अकोला के शिवाजीनगर निवासी अभिजीत धनंजय सराग उर्फ कालीचरण महाराज ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में विवादित बयान दिया था। जिससे देशभर में गांधीवादियों व कांग्रेसी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं में रोष था।

 

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