शुगरकेन का ग्राफ चढ़ा ऊपर पर जलस्तर पहुंचा गया रससतल में

शुगरकेन का ग्राफ चढ़ा ऊपर पर जलस्तर पहुंचा गया रससतल में

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-20 11:37 GMT
शुगरकेन का ग्राफ चढ़ा ऊपर पर जलस्तर पहुंचा गया रससतल में

डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर । गर्मी की आहट के साथ जिले के जलस्तर को लेकर होने वाले चिंतन मनन के बीच चौकाने वाले आंकडे प्रकाश में आए है। जिले के नरसिंहपुर और करेली ब्लाक में जलस्तर सेमी क्रिटीकल जोन में पहुंच गया है।  आगामी कुछ वर्षो में यदि हालात नहीं सुधरे तो नरसिंहपुर जिला भी मराठवाड़ा जैसे हालातों का सामना कर रहा होगा। शुगर केन के रकबे में बेतहाशा वृद्धि जलस्तर को नीचे ले जा रही है, आलम यह है कि कैशक्राप का मोह यदि किसानों ने नहीं छोड़ा तो गन्ना उत्पादक कृषकों को सिंचाई के लिए पानी मिलना मुश्किल होगा।

इस वर्ष 2017 में वर्षा उपरांत के आंकड़ों के मुताबिक नरसिंहपुर ब्लाक का जलस्तर 5.15 मीटर घट गया है, वर्षा के पहले याने गर्मियों में ओर भी खराब स्थिति है, इस मौसम में जलस्तर 8.60 मीटर तक घट गया है। जिले में सर्वाधिक खराब स्थिति करेली ब्लाक की है, यहां वर्षा पूर्व जलस्तर 13.00 मीटर तथा बाद में साढ़े ग्यारह मीटर घटा हुआ पाया गया। 

एक सौ से ज्यादा चैकिंग कूप 
जिले के भू-जलविद् कार्यालय के अधीन संपूर्ण विकासखंडों में एक सौ से ज्यादा चैकिंग कूप है, प्रतिवर्ष बरसात के पहले और उसके बाद यहां जलस्तर नापा जाता है। जिसके आधार पर सेफ, सेमी क्रिटीकल और क्रिटीकल जोन का निर्धारण होता है।  

शुगर केन है जिम्मेंवार 
जिले के छटते जलस्तर के लिए बरसात के अलावा शुगर केन का बढ़ता रकवा जिम्मेंवार बताया गया है। आज की स्थिति में जिले के कुल कृषि रकबे के 80 फीसदी हिस्से में शुगर केन लगाया जा रहा है। बेतहाशा पानी की जरूरत वाली इस फसल को कैशक्राप का दर्जा हासिल हुआ है, जिससे किसानोंं को भी फसल का मोह है। 

पानी की बर्बादी, पर्यावरण हानि भी कारण 
अल्प बरसात तथा गन्ना के प्रमुख कारणों के अलावा जिले में जलस्तर के गिरते ग्राफ के पीछे पनी की बर्बादी और पर्यावरण हानि भी है। बरसाती पानी का संचय नहीं हो रहा तथा वनक्षेत्र भी लगातार घट रहा है। जल संचय के लिए वाटर शेड जैसी योजनाएं हकीकत में दम तोड़ती नजर आ रही है और बरसाती मौसम में वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रम आज औपचारिक रूप से हो रहे है। 

दो साल में बदले हालात 
नरसिंहपुर और करेली ब्लाक के समी क्रिटीकल जोन में पहुंचने के लिए पिछले दो साल की स्थिति खासी महत्वपूर्ण बताई गई है। इन दो वर्षो में जहां सालाना वर्षा अपना औसत आंकड़ा भी नहीं पा सकी वही दोनो ब्लाकों में गन्ने का रकबा खासा बढ़ा है। इन दो ब्लाकों में बरगी की नहरे भी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही है। 

नहीं जागे तो होगी देर 
इन दो ब्लाक के वाशिंदों के लिए यह चिंता का सबब होना चाहिए यदि लोग अभी भी नहीं जागे तो काफी देर होगी और सेफ जोन पाना टेड़ी खीर। मसलन गन्ना उत्पादक कृषको को कैश क्राप के मोह के साथ वाटर रिचार्जिंग की चिंता भी करनी होगी। खेत का पानी खेत में रोककर मेंढ, बंधान, स्टापडेम, पर्यावरण प्रतिकूलता के कदम के साथ पानी की बर्बादी को रोकने का संकल्प जिला वासियों को लेना होगा तब कही हालात सुधरने की संभावना है अन्यथा मराठवाड़ा, विदर्भ की स्थिति नरसिंहपुर जिले में भी नजर आएगी। 

इनका कहना है 
जलस्तर में तेजी से कमी आई है, नरसिंहपुर-करेली ब्लाक सेमी क्रिटीकल जोन में पहुंच गये है, यह स्थिति बेहद गंभीर है। कृषकों को परंपरागत फसलों पर फोकस करना चाहिए साथ ही पानी की बर्बादी रोकते हुये पर्यावरण हितेषी कदम उठाते हुये आम जनता को जागरूक होना चाहिए।
डीके शुक्ला सहायक भू-जलविद् अधिकारी, नरसिंहपुर

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