प्रकृति से मिली धरती को अमलतास की सौगात, जानिए चमत्कारिक गुण

प्रकृति से मिली धरती को अमलतास की सौगात, जानिए चमत्कारिक गुण

Anita Peddulwar
Update: 2018-05-21 09:03 GMT
प्रकृति से मिली धरती को अमलतास की सौगात, जानिए चमत्कारिक गुण

डिजिटल डेस्क, वर्धा।  प्रकृति अपने आप में परिपूर्ण है। उसके पास हर मर्ज की दवा है। हर मौसम में कुछ न कुछ उसके आंचल में ऐसा है जो समस्त प्राणियों को राहत देने वाला होता है। इन दिनों पड़ रहे भीषण गर्मी के दौर में जहां एक ओर सब कुछ सूखा-सूखा व बंजर नजर आ रहा है। वहीं अमलतास के पीले फूल मन को लुभाने के साथ ही आंखों को ठंडक देनेवाला होता है। खूबसूरत फूल ही इस पेड़ की खासियत नहीं है यह पेड़ औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। लोग इसे अपने घरों के बाहर सजावट के लिए भी इस्तेमाल करते हैं।

इस पेड़ के फल, फूल, पत्ती, बीज, छाल, जड़ आदि सभी का औषधीय रूप में प्रयोग किया जाता है। इसे हिंदी में अमलतास, मराठी में बाहवा, गुजराती में गरमालो, बंगाली में सौंदाल, अंग्रेजी में पुडिंग पाइप ट्री लैटिन में कैसिया फिस्टुला आदि नामों से जाना जाता है।

कई रोगों का इलाज है इसमें
अमलतास का पेड़ 20 से 25 फीट ऊंचा होता है। सामान्यत: यह सभी जगहों पर आसानी के लग जाता है। ठंडे और गर्म जलवायु इसके लिए उपयुक्त मानी जाती है। मार्च-अप्रैल में पत्तियां झड़ जाती हैं और नई पत्तियों के साथ इसके फूल खिलने शुरू हो जाते हैं। इसकी फलियां एक से दो फीट लंबी और गोलाकार होती हैं। फलियों में 25 से 100 तक चपटे एवं हल्के पीले रंग के बीज पाए जाते हैं। इनके बीच में काला गुदा होता है, जो दवाई के काम में आता है। इसकी छाल चमड़ा रंगने और सड़ाकर रेशे को निकालकर रस्सी बनाने के काम आती है।

आयुर्वेद के अनुसार अमलतास के रस में मधुरता, तासीर में ठंडक, स्वादिष्ट, कफ नाशक, पेट साफ करने वाला है। साथ ही यह ज्वर, दाह, हृदय रोग, रक्तपित्त, वात व्याधि, शूल, गैस, प्रमेह एवं मूत्र कष्ट नाशक होता है। यूनानी चिकित्सा में अमलतास की प्रकृति को गर्म माना जाता है। यह ज्वर, प्रदाह, गठिया रोग, गले की तकलीफ, दर्द, रक्त की गर्मी शांत करने में और नेत्र रोगों में उपयोगी माना जाता है। गर्मी के इस मौसम अधिक काम आने वाला पेड़ है।  

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