जानिए - संतरा नगरी कहा जाने वाला नागपुर देश के नक्शे में क्यों है खास
जानिए - संतरा नगरी कहा जाने वाला नागपुर देश के नक्शे में क्यों है खास
डिजिटल डेस्क, नागपुर। वैसे तो संतरा नगरी की अनेक विशेषताएं हैं। शहर के प्रत्येक प्रभाग में बहुत कुछ विशेष है। इसी क्रम में हम आज शहर के पांच प्रभाग की कुछ विशेषताओं को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।
धार्मिक स्थलों में श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर के साथ विदर्भ की दो बड़ी मस्जिद यहां हैं
प्रभाग में श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर, हज हाउस, रामझूला, डागा शासकीय महिला अस्पताल प्रमुख हैं। प्रभाग 19 की अनेक विशेषताएं हैं। जिसमें चिकित्सा, यातायात व धार्मिक स्थल उल्लेखनीय हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण से प्रभाग में श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर है, जो सैकड़ों साल पुराना है। सुबह शाम भक्त दर्शन के लिए मंदिर में आते हैं। आसपास के क्षेत्र में भी इस मंदिर की चर्चा होना आम बात है। रामनवमी के दिन हर वर्ष भगवान रामचंद्रजी की शोभायात्रा निकाली जाती है। जिसको देखने के लिए दूर-दूर से भक्त नागपुर आते हैं। भारत देश में निकाली जाने वाली शोभायात्राओं में इस शोभायात्रा का प्रमुख स्थान है। यह मंदिर होना भी प्रभाग की एक विशेषता है।
प्रभाग में यातायात को सुचारु करने तथा जाम की स्थिति से निपटने के लिए रामझूला का निर्माण किया गया, जो रेलवे स्टेशन के ऊपर से यातायात के आवागमन में मदद करता है। रामझूला फ्लाईओवर और रात में इसकी लाइटिंग आकर्षण का केंद्र है। नागपुर आनेवाला और नागपुर से गुजरने वाला यात्री रामझूले की तकनीक की दाद देता है। इसकी सुंदरता की प्रशंसा करते नहीं थकता।
प्रभाग में हज हाउस का निर्माण किया गया है। जहां हज के लिए जाने वाले और उनके रिश्तेदार विश्राम के लिए रुकते हैं। नागपुर से सउदी अरब के लिए डायरेक्ट फ्लाइट होने के कारण आसपास के क्षेत्र के यात्री नागपुर आते हैं। वे हज हाउस में रुकते हैं और हज हाउस प्रभाग 19 में है। जो प्रभाग की विशेषता है।
चिकित्सा की दृष्टि से महिलाओं की सुविधा के लिए डागा स्मृति शासकीय महिला चिकित्सालय है। जो आसपास के क्षेत्र में महिलाओं के उपचार के लिए प्रमुख है। इस प्रकार की सभी सुविधाओं से सुसज्जित हास्पिटल नागपुर और आसपास के क्षेत्र में दूसरा नहीं है।
एनडीआरएफ एकेडमी (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल अकादमी) गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करती है। इसकी स्थापना 7 सितंबर 2015 को हुई थी। सिविल लाइन में देश का यह एकमात्र प्रशिक्षण केंद्र है, जहां उच्च स्तरीय आपदा प्रबंधन की शिक्षा दी जाती है। एनडीआरएफ की अपनी बेहतरीन फौज है। जो कि, अन्य सैनिक फोर्स को प्रशिक्षण देती है। जिसमें सीएपीएफ, सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स, एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिलीफ फोर्स), सिविल कार्यकर्ता, होम गार्ड्स जैसे विभाग को आपदा से निपटने के लिए तैयार करती है। इसके अलावा देशभर में 12 बटालियन काम कर रही है तथा 4 बटालियन को तैयार किया जा रहा है। नागपुर जिला स्तर पर एनडीआरएफ द्वारा मॉकड्रिल के कार्यक्रम कराए जाते हैं। जिसमें एनडीआरएफ प्राकृतिक व मानव निर्मित दोनों प्रकार की आपदा से निपटने के लिए सक्षम है। एनडीआरएफ देश का सबसे बड़ा व एकमात्र पूर्ण तरीके से आत्मनिर्भर दल है। नागपुर में भारतीय आयुध निर्माणियां, एनसीसी, एसडीआरएफ, पैरामिलिट्री फोर्स के प्रशिक्षक भी एनडीआरएफ तैयार करती है। नागपुर में हर प्रकार की आपदा से निपटने के लिए टीम तैयार रहती है। 21 दिसंबर से एनडीआरएफ ट्रेनिंग प्रोग्राम, स्कूल, एनसीसी, कालेज में आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह जानकारी रमेश कुमार, कमांडेंट, एनडीआरएफ एकेडमी तथा डायरेक्टर नेशनल फायर सर्विस कॉलेज ने दी है।
जूना भंडारा रोड स्थित शहीद चौक पर अंग्रेजों के खिलाफ 1942 में स्वतंत्रता आंदोलन के लिए ‘चले जाओ’ का नारा देते हुए एक बड़ा आदोलन हुआ। जिसका केंद्रबिंदु यही स्थल था। इस आंदोलन में 8 लोग शहीद हो गए थे। ऐतिहासिक स्थल के रूप में शहीद स्मारक नाम दर्ज है। आज इस स्थल के आसपास इतनी बड़ी दुकानें लग गई हैं। बड़े-बड़े होर्डिंग और चाट की दुकानें लग गई है। दुकानों और अतिक्रमण के कारण यह स्थल दिखाई नहीं देता। एेतिहासिक महत्व केवल इतिहास में दर्ज है।
बड़कस चौक के समीप प्रभाग के प्रारंभिक हिस्से में संघ मुख्यालय की एक विशाल बिल्डिंग है। देखते ही समझ में आ जाएगा कि, इस परिसर का महत्वपूर्ण स्थान है। दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन के रूप में इसकी पहचान है। 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन इसकी स्थापना हुई थी। संघ अपने 93वें वर्ष में पदार्पण कर रहा है। डेढ़ करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित सदस्य और 80 से ज्यादा आनुवांशिक अथवा समविचारी संगठन इससे जुड़े हैं। राष्ट्रवाद व नागरिक मूल्यों और अनुशासन के लिए यह जाना जाता है। देशभर में भारतीय जनता पार्टी का नाम और उसके सत्तासीन होने में संघ की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। संघ का यह पैतृक संगठन है। 2025 में संघ 100 साल का हो जाएगा।
1908 के ब्रिटिशकालीन रिकार्ड के अनुसार नाग नदी का उद्गम वाड़ी के पास लावा की पहाड़ियों से होते हुए कन्हान नदी में मिलती है। नागपुर शहर के अनेक क्षेत्र से गुजरती हुई यह नदी अब नाले का रूप धारण कर चुकी है। जबकि वास्तविक स्थिति इसके विपरीत बताई जाती है।
1953 तक यहां धोते थे कपड़े
तथ्यों के आधार पर मिली जानकारी से पता चलता है कि, 1953 तक यहां कपड़े धोए जाते थे। एकदम स्वच्छ, निर्मल पानी था। महल और आसपास की महिलाएं हरितालिका पर्व पर गौरी विसर्जन करने जाती थीं। नाग नदी के एक छोर पर अशोक के बड़े-बड़े वृक्ष थे तो दूसरे छोर पर बंगले बने थे। काशीबाई मंदिर था। संतरे के बड़े-बड़े पेड़ लगे थे। वहीं सीपी एंड बेरार काॅलेज के सामने जो आज तुलसीबाग है। वहां बड़ा तुलसी का पौधा लगाया गया था। यही नहीं, द्वितीय रघुजी ने सियालकोट औप औरंगाबाद से उमदा किस्म के संतरे के पौधे भी लगाए थे। माना जाता है कि, नागपुर में पहले संतरे के पेड़ लगाने का श्रेय भी रघुजी राजा (द्वितीय) को ही जाता है।
मध्य नागपुर में स्थित दो बड़े सरकारी हाॅस्पिटल डागा हाॅस्पिटल और मेयो (इंदिरा गांधी वैद्यकीय हाॅस्पिटल व रिसर्च अनुसंधान केंद्र है। मेयो हाॅस्पिटल प्रभाग 8 के अंतर्गत आता है और डागा हॉस्पिटल प्रभाग 19 में शामिल हो चुका है। इसका पुराना नाम मेयो हास्पिटल है। पहले इसे मनपा द्वारा संचालित किया जाता था। खर्च न उठा पाने के कारण इसे राज्य सरकार को सौंपा गया। शासन व प्रशासन ने इसे समय-समय पर आधुनिक बनाने की हरसंभव कोशिश की है। आज यह हाॅस्पिटल सभी सुविधाओं से परिपूर्ण है। फिर भी आए दिन यहां जनता शिकायत करती है कि, जिस उपकरण से जांच की जाती है। वो अक्सर खराब रहते हैं। लाखों, करोड़ों रुपए के उपकरण जनता की सुविधा के लिए लगाए गए, लेकिन सभी व्यर्थ हो रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है। शासन व प्रशासन इसको और भी सुविधायुक्त कर सकते हैं। जिससे सरकार की आय में वृद्धि हो सकती है।
स्वास्थ्य के प्रति प्रत्येक नागरिक जागरूक रहे। इसके लिए प्रभाग के मोमिनपुरा वार्ड में यूनानी दवाखाना और आयुर्वेदिक हाॅस्पिटल भी संचालित किए जा रहे हैं। जो बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे मेयो हाॅस्पिटल या निजी हाॅस्पिटल नहीं जा सकते। उन नागरिकों के लिए यह स्वास्थ्य केंद्र काफी लाभदायक है। गत ढाई साल पूर्व पार्षद जुल्फिकार अहमद भुट्टो की पहल पर पैथोलॉजी लैब स्थापित की गई। यहां काफी कम दर में रक्त, मल, मूत्र की जांच की जाती है।
पुराने जमाने से यंग मुस्लिम फुटबॉल ग्राउंड प्रख्यात है। यहां से अनेक खिलाड़ियों ने अपने देश व प्रदेश के लिए स्पोर्ट्स में अपना योगदान दिया है और शहर का नाम रोशन किया है। यह शहर के बीचोंबीच स्थित होने से अतिक्रमण ने इसे जकड़ कर रखा है। यह ग्राउंड छोटा होता जा रहा है। शासन व प्रशासन इस ग्राउंड की हमेशा अनदेखी करता है। अन्यथा इस ग्राउंड को भी बहुत अच्छा बनाया जा सकता है।
पच्चीस साल पूर्व तक यहां हैंडलूम सूत का भारी मात्रा में कारोबार किया जाता था। फिर सरकार की तकनीकी क्रांति के चलते हैंडलूम को पॉवरलूम में परिवर्तित किया गया। यहां के बुनकरों की उस समय आर्थिक परिस्थित काफी ठीक थी, लेकिन सरकार की नीति के चलते बुनकरों के हाथ से अपना व्यवसाय छूटता चला गया। बुनकरों को दी जाने वाली सुविधा जैसे बैंक सब्सिडी, सूत का सरकारी दरों से मिलना, बिजली बिल में रियायत सभी बंद कर दी गई। आज बुनकर समाज की हालत काफी दयनीय है। क्योंकि सभी हैंडलूम व पॉवरलूम बंद हो चुके हैं। बुनकर समाज आज भी सरकार से अपने व्यवसाय को जिंदा करने की अपेक्षा रखता है।
पूरे नागपुर शहर में जब किसी को चटकारे वाली चीज खाना हो अथवा नॉनवेज खाना हो तो वो मोमिनपुरा में प्रवेश करता है। यहां की बिरयानी हो या सीख कबाब, डेजर्ट हो या फिर अनेक तरह के व्यंजन सभी की लिज्जत जरा हट कर होती है। चाय पीनी हो या कश्मीरी कहवा, सभी यहां लोगों के लिए उपलब्ध होता है। कहते हैं जब आम जनता रात में सोती है तो मोमिनपुरा का मार्केट जवां होता है। किसी भी वक्त यहां हर चीज आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
बालोद्यान नागपुर का एकमात्र ऐसा गार्डन है, जहां लोग मन की शांति के लिए यहां पहुंचकर अपना समय व्यतीत करते हैं। गार्डन में बच्चों को खेलने के लिए पर्याप्त जगह है। अनेक प्रकार के झूले उपलब्ध हैं। गार्डन में औषधियुक्त 40 साल पुराने वृक्ष मौजूद हैं। जिससे लोगों को हर मौसम में ठंडी हवा और घनी छांव मिलती है। गार्डन में अलग-अलग प्रकार के पक्षी भी हैं। हर रविवार को लोग परिवार के साथ सुबह से यहां आते हैं। यह स्थान भीड़ से बहुत दूर है।