जलाशय में पर्यटन के नाम पर  बहा दिए डेढ़ करोड़, अफसर नहीं दे रहे जवाब

जलाशय में पर्यटन के नाम पर  बहा दिए डेढ़ करोड़, अफसर नहीं दे रहे जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-24 08:37 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क, कटनी। जिला खनिज मद से सुर्खी पोड़ी जलाशय में डेढ़ करोड़ रुपए की राशि को ठिकाने लगाने के खेल में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग का बड़ा झूठ लिखित में बेनकाब हुआ है। जिस पर उन्हीं जनप्रतिनिधियों की मौन सहमति है, जिन्होंने यहां पर पर्यटन क्षेत्र के विकास करने की वकालत की थी। दरअसल जिस डेम को पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित करते हुए कटनी वासियों को नए आयाम की अनुभूति कराने का जो सब्जबाग अफसरों ने दिखाया था। वह सपना पूरा नहीं हो सका। पिचिंग के नाम पर करीब 70 लाख रुपए खर्च करने के बाद विभाग की पूरी फौज अब बहाना बनाने में लगी है। जिस तरह से पिचिंग में पत्थर लगाया गया है, उसे देखने के बाद यह आसानी से समझा जा सकता है कि जिस राशि से लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिलती, उस राशि को अनाप-शनाप तरीके से खर्च करने में विभाग लगा हुआ है। वाकिंग पथ के नाम से डेम के मेढ़ के ऊपरी हिस्से में कुछ दूरी पर लोहे की जालियां लगाई गई हैं। सूचना बोर्ड से पकड़ाया झूठ जलाशय के किनारे जो सूचना बोर्ड लगाया गया है। उससे विभाग की बड़ी झूठ पकड़ाई है। यहां पर दैनिक भास्कर जब दिसम्बर माह में जमीनी हकीकत जानने गया हुआ था। उस समय बोर्ड में कार्य प्रारंभ होने की तिथि 23 जुलाई 2017 थी। कार्य पूरा होने की अवधि छह माह बताई गई थी। जिसमें वर्षा काल के चार माह को छोड़ा गया था। इस हिसाब से सितम्बर माह तक ही मानसून का समय माना जाता है। मार्च 2018 में इसे पूरा हो जाना था। पर यह काम नहीं हो सका। अब यहां पर बोर्ड के ऊपर ही पोताई करके कार्य प्रारंभ होने की तिथि 23 जुलाई 2018 बताने का काम आरईएस के अफसर कर रहे हैं।
 

आरईएस ईई एस तेकाम से सीधी बात

रिपोर्टर- यहां पर कब तक काम पूरा होगा
ईई- अभी बीस से पच्चीस दिन और लगेगा
रिपोर्टर- समय पर नहीं बनने का प्रमुख कारण
ईई- राशि मिलने में देरी की वजह से समय लगा
रिपोर्टर- सूचना बोर्ड में अब तिथि बदल दी गई
ईई- पहले यह दूसरे ठेकेदार को मिला था
रिपोर्टर- काम भी गुणवत्ता युक्त नहीं हुआ है
ईई- ड्राइंग-डिजाइन पर ही काम हुआ है
 

बिगाड़ दी घाट की सूरत

यह क्षेत्र पर्यटक के रुप मेें तो विकसित नहीं हुआ। वाकिंग पाथ और पार्क का कहीं पता नहीं है, जो पहले से नेचुरल खूबसूरती थी। उस पर भी जिम्मेदारों ने ग्रहण लगा दिया। डेम के मेढ़ के किनारे पिचिंग में ऐसे पत्थर लगाए गए हैं कि यह डेम के नेचुरल लुक पर भी धब्बा लगा रहा है। पिचिंग का काम हुए अभी कुछ समय ही हुआ है कि पिचिग में लगाए गए पत्थर निकलने लगे हैं। पांच सौ मीटर के दायरे में सिर्फ चंद मीटर ही पत्थरों को ठीक तरह से लगाया गया है। इसके बाद तो विभाग ने ड्राइंग-डिजाइन में शामिल पत्थरों से बाहर जाकर भी वे पत्थर लगा दिए। जिससे विभाग के अफसरों का पेट भरता।

मामले में साधी चुप्पी छह माह का कार्य दो वर्ष में भी पूरा नहीं हो सका है। इसके बावजूद जनप्रतिनिधि और अफसर चुप्पी साधे हुए हैं। वर्ष 2016-17 के वार्षिक प्रतिवेदन में इसे शामिल किया गया था। जिसकी अध्यक्षता आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री ज्ञान सिंह ने अध्यक्षता की थी। उपाध्यक्ष के रुप में कलेक्टर, सदस्य सचिव के रुप में सीईओ जिला पंचायत कटनी, प्रभारी अधिकारी के रुप में खनिज शाखा के उपसंचालक की स्वीकृति ली गई थी। जिसमें कार्य स्वीकृत होने की तिथि 20 जुलाई 2017 का हवाला दिया गया है। एक बार राशि जारी करने के बाद अन्य अफसर और जनप्रतिनिधि यह भूल गए कि यह रुपए शासन का है, और इस राशि से लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए।
 

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