नर्सरी में 50-100 रुपए में मिलने वाले पौधे की कीमत मनपा में 4410 रुपए, सामने आई गड़बड़ी

नर्सरी में 50-100 रुपए में मिलने वाले पौधे की कीमत मनपा में 4410 रुपए, सामने आई गड़बड़ी

Anita Peddulwar
Update: 2020-01-22 05:32 GMT
नर्सरी में 50-100 रुपए में मिलने वाले पौधे की कीमत मनपा में 4410 रुपए, सामने आई गड़बड़ी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अभी तक आपने कहावत सुनी होगी कि, क्या "पैसे पेड़ पर लगते हैं", यदि मनपा के पौधारोपण का हिसाब-किताब देखें तो यह कहावत सच साबित हो रही है। यहां 4.94 करोड़ के पौधारोपण में जमकर गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। जो पौधा सामान्य रूप निजी नर्सरी में 50 से 100 रुपए में उपलब्ध है, मनपा के खाते में उसकी लगात 4410 रुपए बताई गई। बात यहीं तक सीमित नहीं रही। ऐसे कीमती पौधे लगाने में भी जमकर खानापूर्ति की गई। इन्हें कहीं सीवरेज लाइन पर लगाने के लिए गड्‌ढे खोद दिए गए, तो कहीं हाइटेंशन लाइन के नीचे लगा दिए गए। जैसे ही यह बात आयुक्त तक पहुंची तो उन्होंने तत्काल ऐसे पौधारोपण पर फिलहाल रोक लगाते हुए एनओसी लेने को कहा है। 

शहर को हरा-भरा बनाने के नाम पर मनपा की आंखों में धूल झोंकी जा रही है। मनपा ने 4.94 करोड़ रुपए की लागत से मे. रेनबो ग्रीनर्स संस्था को शहर में 11 हजार 200 पौधे लगाने का ठेका दिया है। संस्थान ने पौधे लगाने के चक्कर में न नियमों का ध्यान रखा और न पौधों को सुरक्षित रखने के बारे में विचार किया। पहले नीरी कार्यालय के पीछे स्थित रोड पर सीवरेज और केबल लाइन के उपर पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोद डाले। जब यह मामला मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर के ध्यान में आया, तो संस्थान को उन्होंने जमकर लताड़ लगाई। उसके बाद गड्ढे बुझाए गए। फिर उसी रोड के सामने वाले हिस्से में गड्ढे खोदकर पौधे लगाए गए। इसी रोड से आगे अजनी चौक से जेरिल लॉन के बीच में सड़क किनारे बकूल के पौधे लगाए गए। करीब 5 से 6 फीट के यह पौधे हैं। 

यह पौधे ऐसी जगह लगाए गए, जिसके ठीक ऊपर से हाइटेंशन लाइन के तार गुजर रहे हैं। यह तार भी अब नीचे झुक गए हैं। जिससे खतरे की आहट भी महसूस की जा रही है। अब तक करीब 250 पौधे शहर भर में लगाए गए हैं। इस बीच एक और खुलासा हुआ कि, जितने पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोदे गए, उनके लिए किसी तरह की एनओसी नहीं ली गई। गड्ढे खोदने के लिए नियमानुसार मनपा, ओसीडब्ल्यू और महावितरण की अनुमति लेना ‌आवश्यक है। शहर में कई जगहों से सीवरेज, पानी की लाइन और महावितरण के केबल गुजर रहे हैं। यह मामला ध्यान में आने पर अब संस्थान के काम पर रोक लगा दी गई है। जब तक संस्थान को तीनों विभागों से एनओसी नहीं मिल जाती, वे कोई पौधा नहीं लगा पाएंगे। एेसे में संस्थान के काम-काज को लेकर ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं। 

हम तो 50 से 100 रुपए में ऐसे पौधे बेचते हैं
मनपा का दावा सही भी मान लिया जाए कि, पौधे महंगे हैं, लेकिन शहर में यही पौधे 50 से 100 रुपए में बिक रहे हैं। महाराजा नर्सरी के संचालक पांडे महाराज ने बताया कि, उनकी नर्सरी में बकूल या बबूल का एक पौधा 50 से 100 रुपए में बिकता है। ऐसे में मनपा और संस्था में भी साठ-गांठ की आशंका जताई जा रही है। 

नियम भी राहत देने वाले 
पौधे लगाने के बाद संस्थान को नियमों में छूट देने का आरोप भी लग रहा है। शहर में 11 हजार 200 पौधे लगाने के बाद संस्था को तुरंत 50 प्रतिशत पेमेंट का भुगतान किया जाएगा। इसके तीन महीने बाद उसे 25 प्रतिशत का भुगतान होगा। तत्पश्चात एक साल तक पौधों का रखरखाव और जीवित रखने पर उन्हें 10 प्रतिशत और इसके दो साल बाद 15 प्रतिशत का भुगतान किया जाएगा। 

जगह की उपयोगिता देखकर पौधे लगाए  
पौधों को लेकर सवाल उठाना ठीक नहीं है। जगह की उपयोगिता देखकर ही पौधे चयनित किए गए हैं। मनपा ने हमें खुद रोड का चयन करके दिया है। शहर के 59 रास्तों पर पौधे लगाए जाएंगे। खुद महापौर संदीप जोशी ने काम का भूमिपूजन किया था। गड्ढे खोदने के बाद सीवरेज लाइन सामने आई। उसके बाद तुरंत उसे बुझा दिया गया। हाईटेंशन लाइन के नीचे जो पेड़ लगाए गए हैं, वे बकूल के पेड़ हैं। वे ज्यादा नहीं बढ़ते हैं। एनओसी का मुद्दा सामने आया है। जब तक सभी विभागों से एनओसी नहीं मिल जाती, आगे का काम रोका है।  -गौरव टावरी, संचालक, मे. रेनबो ग्रीनर्स संस्था 

हमें लगा मनपा का काम है, एनओसी की जरूरत नहीं  
यह काम मनपा के जरिये हो रहा है। इसलिए एनओसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। बाद में यह मामला ध्यान में आया, लेकिन अब सभी 10 जोन में एनओसी के लिए आवेदन किया है। जब तक एनओसी मिल नहीं जाती, आगे का काम नहीं किया जाएगा। अब तक 250 पौधे शहर में लगाए गए हैं। ज्यादातर बबूल के पेड़ लगाए जा रहे हैं। जो गड्ढे सीवरेज लाइन पर खोदे गए थे, उसे बुझा दिया गया है।  -अमोल चौरपगार, अधीक्षक, उद्यान विभाग, मनपा 

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