दल-बदल बेअसर, काम कर रहा है अपना ही बल, बदलाव के नहीं दिख रहे आसार

दल-बदल बेअसर, काम कर रहा है अपना ही बल, बदलाव के नहीं दिख रहे आसार

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-16 07:28 GMT
दल-बदल बेअसर, काम कर रहा है अपना ही बल, बदलाव के नहीं दिख रहे आसार

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। विधानसभा चुनाव में भले ही अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस-राकांपा के नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टियों को छोड़कर भाजपा में प्रवेश किया हो, लेकिन इससे गोंदिया की राजनीति में कोई खासा बदलाव दिखाई नहीं दे रहा है। मौजूदा हालत में कुछ इस तरह खिचड़ी पकी है कि अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। टिकट बंटवारे से पूर्व गोंदिया के कांग्रेस विधायक गोपालदास अग्रवाल कांग्रेस को गुडबाय कहकर भाजपा के टिकट से गोंदिया विस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। अग्रवाल लंबे समय तक कांग्रेस के जिले में एकछत्र नेता थे। उनके साथ ही अनेक जिला परिषद, पंचायत समिति एवं नगर परिषद सदस्यों तथा कार्यकर्ताओं ने भाजपा में प्रवेश किया। इस कारण भाजपा की ताकत का इजाफा होना चाहिए था, लेकिन इस चुनाव में पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरकर भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। उनके साथ भाजपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारी बड़ी संख्या में हैं। भाजपा ने बागी विनोद अग्रवाल सहित अनेक पदाधिकारियों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित तो कर दिया, लेकिन पार्टी का यह फैसला कितना सही है, यह भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है। 

चेहरे का असर 

उधर, कुछ माह पूर्व गोंदिया जिले के सहकार क्षेत्र के बड़े राकांपा नेता एवं एक को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष महेश जैन अपने सहयोगियों संग भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। महेश जैन सहकार क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं एवं अर्बन बैंक की शाखाएं जिले एवं जिले के बाहर भी फैली हुई हैं। सभी जगह वह बैंकों के सभासद हैं। इस कारण भाजपा को जैन के प्रवेश से राजनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है। हालांकि महेश जैन आमगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत देवरी के मूल निवासी हैं। 

बनते-बिगड़ते समीकरण

तिरोड़ा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. खुशाल बोपचे अपने बेटे रविकांत के साथ भाजपा को राम-राम कह गए। रविकांत बोपचे राकांपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ रहे हैं। यहां भाजपा से राकांपा में दलबदल होने के कारण भाजपा को नुकसान झेलना पड़ सकता है, लेकिन इस बीच राकांपा के भी बड़े नेता पूर्व विधायक दिलीप बंसोड़ के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने से भाजपा को उम्मीद है कि बोपचे के पार्टी छोड़ जाने से उसे नुकसान नहीं होगा।

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