परीक्षा रद्द करने के फैसले के समर्थन में आया महाराष्ट्र स्टूडेंट यूनियन, दायर की हस्तक्षेप अर्जी

परीक्षा रद्द करने के फैसले के समर्थन में आया महाराष्ट्र स्टूडेंट यूनियन, दायर की हस्तक्षेप अर्जी

Tejinder Singh
Update: 2020-08-12 15:45 GMT
परीक्षा रद्द करने के फैसले के समर्थन में आया महाराष्ट्र स्टूडेंट यूनियन, दायर की हस्तक्षेप अर्जी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोविड-19 बिमारी के मद्देनजर सिंतबर 30 तक विश्वविद्यालय की अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित कराने के यूजीसी के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में महाराष्ट्र स्टूडेंट यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप अर्जी दायर की है। महाराष्ट्र स्टूडेंट यूनियन ने अपने आवेदन में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से परीक्षा रद्द करने के बारे में लिए गए निर्णय का समर्थन किया है। यूनियन ने दावा किया है कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का निर्णय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 सहित सभी केन्द्रीय और राज्य अधिनियमों पर लागू होगा, क्योंकि यह एक विशेष कानून है। याचिकाकर्ता संगठन ने कहा है कि यूजीसी के पहले 29 अप्रैल 2020 और बाद में 6 जुलाई 2020 को जारी संशोधित दिशानिर्देश न तो अनिवार्य है और नही आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत राज्य प्राधिकरण पर बाध्यकारी है।

याचिकाकर्ता संगठन ने कहा है कि यूजीसी अधिनियम की धारा 12 के अनुसार आयोग का यह एक कर्तव्य है कि वह विश्वविद्याललय या अन्य निकायों से विश्वविद्यालयों में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों का निर्धारण और रखरखाव से संबंधित परामर्श करें। चूंकि अधिनियम में अन्य निकायों शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है, इसलिए इसकी व्यापक रुप से व्याख्या करने की जरुरत है। अन्य निकायों में निश्चित रुप से राज्य प्राधिकरण या राज्य सरकार शामिल होगी। याचिकाकर्ता संगठन ने त र्क दिया है कि परीक्षा आयोजित करने और डिग्री प्रदान करने के संबंध में निर्णय लेने की शक्ति संबंधित राज्य विश्वविद्यालय पर है न की यूजीसी पर। बता दें कि इस मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। 

 

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