बिजली विभाग कैसे झेले, ऐसे उपभोक्ताओं के पैंतरे

बिजली विभाग कैसे झेले, ऐसे उपभोक्ताओं के पैंतरे

Anita Peddulwar
Update: 2018-02-02 09:30 GMT
बिजली विभाग कैसे झेले, ऐसे उपभोक्ताओं के पैंतरे

डिजिटल डेस्क,नागपुर।  बकाया बिजली बिल वसूलने के लिए महावितरण और एसएनडीएल द्वारा सख्त कदम उठाने के बावजूद परेशानी कम होती नहीं दिख रही है। उपभोक्ता बिजली विभाग से बचने के लिए चेक तो थमा रहे हैं लेकिन ये चेक पास नहीं हो रहे हैं। बता दें कि  ‘भुगतान करो, नहीं तो बिजली कटेगी’ की तर्ज पर मुहिम चला रखी है। इसके विपरीत बिजली कटने से बचने के लिए विद्युत उपभोक्ता भी नई-नई तरकीब निकाल रहे हैं। बिजली न कटे इसके लिए उपभोक्ता बिजली कंपनी को चेक तो थमा रहे हैं, लेकिन भुगतान होने के पहले ही बैक खाते से रकम या तो निकाल ली जा रही है या खाते में रकम डाली ही नहीं जा रही है। कई प्रकरणों में तो उपभोक्ता ने बैंक को पत्र देकर ही भुगतान को रुका दिया है। इसके चलते बिजली कंपनियों का अार्थिक संकट तो गहरा ही रहा है। साथ ही उपभोक्ता की विद्युत आपूर्ति भी यथावत बनी हुई है। 

इसका उठा रहे फायदा
महावितरण प्रणाली में एक बार चेक के वापस होने के बाद अगले 11 माह तक उस उपभोक्ता का विद्युत बिल का भुगतान चेक से न लेने का प्रावधान है, लेकिन एसएनडीएल में ऐसा न होने से शहर के तीन तिहाई हिस्से के आदत से मजबूर उपभोक्ता इसका फायदा उठा रहे हैं। 

1 साल में 13 करोड़ के चेक बाउंस
जानकारी के अनुसार, एसएनडीएल के जनवरी 2017 से दिसंबर 2017 तक तेरह करोड़ 44 लाख रुपए के 12 हजार 3 सौ 51 चेक बगैर भुगतान  वापस हुए हैं। इनमें सबसे अधिक चेक खाते में रकम न होने के कारण वापस हुए हैं। 

नए-नए पैंतरे अपना रहे उपभोक्ता
बिजली कटने से बचने के लिए उपभोक्ता यह पैंतरा अपना रहे हैं, पर कंपनी ऐसे उपभोक्ताओं की काली सूची तैयार करने में जुटी है। ऐसे उपभोक्ता जिनके चेक एक बार बाउंस हुए हैं, उनके चेक आगे से नहीं लिए जाएंगे। साथ ही निगोशिएबल एक्ट की धारा 135 के अंतर्गत आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की तैयारी भी है।
-प्रवक्ता एसएनडीएल
 

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