मनुष्य दुःख पाता है क्योंकि वह अपने आप को संयमित नहीं कर पाता

मनुष्य दुःख पाता है क्योंकि वह अपने आप को संयमित नहीं कर पाता

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-16 06:40 GMT
मनुष्य दुःख पाता है क्योंकि वह अपने आप को संयमित नहीं कर पाता

डिजिटल डेस्क,नागपुर। कल्पतरु बुद्ध विहार, कौशल्यायन नगर, कुकडे ले-आउट  में कल्पतरु बहुउद्देशीय संस्था के तत्ववाधान में वर्षावास समापन समारोह व धम्मचक्र प्रवर्तन दिन भिक्षु संघ व उपासक-उपासिका संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। वर्षाकाल आषाढ़ पूर्णिमा से अश्विन पूर्णिमा तक तीन माह जारी रहा। इस दौरान सुबह 5.30 बजे व 7 बजे वंदना, पूजा, धर्म सूत्र व त्रिपिटक का पठन बौद्ध भिक्षुओं द्वारा किया गया, जिसका लाभ परिसर के लोगों ने लिया। वर्षावास के समापन पर सुबह 8 बजे धम्म ध्वजारोहण, 9.30 बजे पवारणा व परित्राण का सामूहिक  पठन किया गया। 11 बजे भिक्षु संघ को संघ दान व भोजन दान दिया गया। साथ ही कठिन चीवर दान दिया गया।

दोपहर 12 बजे संघ की धम्मदेशना हुई। धम्म देशना में भंते प्रियदर्शी ने कहा कि हमें आज बुद्ध के उपदेशों की अति आवश्यकता है। यह जीवन दुःखों से भरा है। प्रत्येक व्यक्ति दु:ख को किसी न किसी रूप में भोग रहा है, चाहे वह भाग्यशाली व्यक्ति ही क्यों न हो। हम अपने दुःख की स्वयं रचना करते हैं। मनुष्य दुःख पाता है, क्योंकि वह अपने आप को संयमित नहीं कर पाता। इच्छा उसकी बुद्धि को ढक लेती है। इससे छुटकारा पाने का रास्ता अष्टांग मार्ग है। धर्म पथ का अनुसरण करने से  दुःख से मुक्ति मिलती है। जिसे तथागत ने निर्वाण कहा है। हमें अपने दीपक स्वयं बनना है। कर्मों का बोझ स्वयं उठाना पड़ेगा। अपना दीप स्वयं प्रज्वलित करो। इस अवसर पर भिक्षु संघ के भिक्षु सारिपुत्र महाथेरो, भंते बुद्धघोष, धम्मपाल थेरो, भंते करुनानन्द थेरो, भंते विनयकीर्ति, भंते कात्यायन, श्रमण दीपंकर, तिस्स विशेष रूप से मंचासीन रहे । दोपहर 1 से शाम 6 बजे तक उपासक-उपासिका को भोजनदान किया गया। सफलतार्थ विहार के उपासक-उपासिका संघ व कल्पतरु बहुउद्देशीय संस्था के सभी सदस्यों ने प्रयास किया।

सुजाता बुद्ध विहार को  डा. बाबासाहब की मूर्ति दान

धम्मक्रांति दिवस के उपलक्ष्य में बुद्ध धम्म की दान पारामिता का पालन कर दिवंगत पंढरीनाथ समुंदरे की स्मृति में समुंदरे परिवार ने सुजाता बुद्ध विहार लुंबिनी नगर, हिंगना में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की पूर्णाकृति मूर्ति दान की। मूर्ति का अनावरण भदंत डॉ. शीलवंस के हाथों व भदंत जीवनदर्शी, आशीष फुलझेले-मानव अधिकार संरक्षण मंच, महेश वासनिक-हिंगना तालुका संयुक्त बुद्ध विहार समिति, आशाबाई नितनवरे-अध्यक्ष सुजाता बुद्ध विहार, राजकुमार बोरकर-अस्मिता मंच वाडी, सुरेश मानवटकर-बौद्ध समाज एकता परिषद की प्रमुख उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किए। समुंदरे परिवार की गीता, रवींद्र, सुरेंद्र, माधुरी, सुजाता का अभिनंदन किया गया। हिंगना तालुका संयुक्त बुद्ध विहार समिति की ओर से रेखा धुपे, उज्ज्वला पुनवटकर, सुमन मोहोड के हाथों विहार को संविधान ग्रंथ भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन शुभम डहाट, प्रास्ताविक महेश वासनिक, आभार प्रदर्शन प्रणय अडीकने ने किया। हिंगना तालुका संयुक्त बुद्ध विहार समिति के संचालक विजय मेश्राम, विजय बोरकर, केशव डोंगरे, सुजाता बुद्ध विहार समिति व परिसर के बहुसंख्य लोग कार्यक्रम में उपस्थित थे। 
 

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