एक के बाद एक बंद हो रही मराठी स्कूलें , हाईकोर्ट ने जताई चिंता

एक के बाद एक बंद हो रही मराठी स्कूलें , हाईकोर्ट ने जताई चिंता

Anita Peddulwar
Update: 2019-06-24 07:33 GMT
एक के बाद एक बंद हो रही मराठी स्कूलें , हाईकोर्ट ने जताई चिंता

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर में बंद होते मराठी माध्यम के स्कूलों पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने गंभीर रुख अपनाया है। हाल ही में अखिल भारतीय दुर्बल समाज विकास संसाधन द्वारा दायर जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति एस.एम. मोडक की बेंच में सुनाई हुई, जिसमें कोर्ट ने टिप्पणी की कि मराठी प्रदेश की मातृभाषा है।

नागपुर में मराठी, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाएं बोली जाती हैं, जो कि नागपुर के मिश्रित संस्कृति को दर्शाता है। ऐसे में यदि मराठी माध्यम के स्कूल बंद हो रहे हैं, तो यह हमारे समाज के लिए चिंता का विषय है। इसका एक मुख्य कारण यह नजर आता है कि मराठी स्कूलों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया, न ही इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पर्याप्त सुविधाएं दी गईं। वहीं अंग्रेजी स्कूलों के इस दौर में पालक भी अपने विद्यार्थियों को मराठी स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते। ऐसे ही अन्य कई और कारण हो सकते हैं। हमारी संस्कृति का जतन करना हमारा मौलिक कर्तव्य है। ऐसे में मनपा आयुक्त और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को इस समस्या पर गंभीर रवैया अपनाना होगा। इसके लिए शैक्षणिक और सामाजिक विशेषज्ञों की मदद ली जा सकती है। हाईकोर्ट ने मनपा आयुक्त को 16 जुलाई को इस दिशा में समाधान प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। 

यह है मामला

अखिल भारतीय दुर्बल समाज विकास संसाधन अध्यक्ष लीलाधर कोहले और सचिव धीरज भिसीकर ने नागपुर महानगरपालिका के मराठी माध्यम के स्कूलों के बंद होने का मुद्दा जनहित याचिका में उठाया है। याचिकाकर्ता के अनुसार मनपा के उदासीन रवैये और सरकार की उदासीन नीतियों के कारण मनपा के मराठी माध्यम के स्कूल तेजी से बंद हो रहे हैं। पालक अपने विद्यार्थियों को दूसरे स्कूलों में भेज रहे हैं।

नागपुर में कुछ पालकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने मराठी स्कूलों को बचाने के लिए अभियान छेड़ा था। हस्ताक्षर अभियान भी हुआ था। इसके बावजूद मनपा मराठी स्कूलों को बंद करने के अपने निर्णय पर कायम रही। वर्ष 2017 में मनपा ने 81 में से 34 मराठी माध्यम के स्कूल बंद करने का निर्णय लिया, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचिकाकर्ता की ओर से एड.आशुतोष धर्माधिकारी कामकाज देख रहे हैं। 

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