सही तरीके से तैयार नहीं हो सका मेट्रो भवन, ये है अड़चन
सही तरीके से तैयार नहीं हो सका मेट्रो भवन, ये है अड़चन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेट्रो प्रशासन को जिस इमारत में काम करना है, उस 7 मंजिल इमारत का काम समय से करीब 10 महीने लेट चल रहा है। इसका कारण नागपुर सुधार प्रन्यास की ओर से तैयार किया गया डिजाइन है, जिसे मेट्रो प्रशासन ने पदक्रम (हाइरार्की) के हिसाब से तैयार नहीं होने और छत में सोलर पैनल के विकल्प ना दिए जाने के कारण बदलाव की मांग की गई है। मेट्रो रेल परियोजना कुल 8680 करोड़ रुपए की है। यह बजट बोर्ड द्वारा तय किया गया है। इससे अधिक पैसे खर्च करने के लिए अनुमति सरकार से लेनी पड़ती है। करीब 50 प्रतिशत पूरी हो चुकी परियोजना सही गति से आगे बढ़ रही है, लेकिन मेट्रो भवन निर्माण की साइट पर, जो इमारत की मूल डिजाइन साइट इंफॉर्मेशन बोर्ड पर दिखाई देती है, इसमें कई बदलाव किए गए हैं। हालांकि समय से पहले चल रहे मेट्रो परियोजना में प्रशासन यही प्रयास करने का दावा कर रहा है कि समय और लागत दोनों की बचत करने की कोशिश की जा रही है।
मेट्रो प्रशासन को कई खामियां दिखीं
जानकारी के अनुसार मेट्रो परियोजना के शुरुआती चरणों में मेट्रो भवन के निर्माण का कार्य मंजूर हो चुका था। 6360 वर्ग मीटर के प्लॉट पर 5400 बिल्टअप एरिया में 31 दिसंबर 2016 तक मेट्रो भवन तैयार करने की सूचना बोर्ड पर दी गई, लेकिन एनआईटी की ओर से भवन की तैयार डिजाइन में मेट्रो प्रशासन को कई खामियां दिखाई दीं। इसमें मेट्रो प्रशासन के लिए अधिकारियों के पदक्रम के अनुसार बैठने की व्यवस्था से लेकर रूफ टॉप अर्थात छत पर सोलर पैनल के विकल्पों का अभाव खलने लगा। एनआईटी द्वारा तैयार की गई इमारत की डिजाइन को बेहद सामान्य डिजाइन करार दिया गया। इसलिए डिजाइन में कई जगह बदलाव करने की सूचना दी गई है। मेट्रो भवन की नई डिजाइन में छत पर घुमावदार आकृति की जगह नए तरह के सोलर पैनल का संशोधन किया गया है। परियोजना की मूल लागत 23 करोड़ रुपए से थोड़ी ज्यादा है, लेकिन बदलाव से लागत बढ़ने की संभावना है।
सक्षम इमारत के तौर पर होगी विकसित
जनसंपर्क अधिकारी और डीजीएम (फाइनेंस), महामेट्रो अनिल कोकाटे के मुताबिक मेट्रो भवन का डिजाइन एनआईटी ने तैयार किया था। उसमें मेट्रो प्रशासन के पदक्रमों के हिसाब से विकल्प मौजूद नहीं थे। छत पर सोलर पैनल भी नहीं थे। ऐसे कई बदलाव डिजाइन में किए गए हैं। बेशक इससे परियोजना पूरी होने में देर लग रही है, लेकिन जल्द ही इसे सक्षम इमारत के तौर पर विकसित कर लिया जाएगा। फिलहाल मेट्रो का स्टाफ तीन जगहों पर स्थित कार्यालयों से कार्य संचालित कर रहा है। मुख्य परियोजना प्रबंधक के कार्यालयों को मेट्रो भवन में नहीं लाया जाएगा, लेकिन शेष प्रशासनिक महकमा मेट्रो भवन में शिफ्ट किए जाने की योजना तय है।