बैठक में बजा मोबाइल, दो अधिकारियों पर लगा जुर्माना ,रेडक्रॉस के खाते में जमा कराई गई जुर्माने की राशि
बैठक में बजा मोबाइल, दो अधिकारियों पर लगा जुर्माना ,रेडक्रॉस के खाते में जमा कराई गई जुर्माने की राशि
डिजिटल डेस्क, शहडोल। समयसीमा (टीएल) की बैठक में सोमवार को मोबाइल फोन की घंटी बजने पर नवागत संयुक्त कलेक्टर और गोहपारू तहसीलदार पर 500-500 रुपए का जुर्माना किया गया है। यह राशि रेडक्रॉस के खाते में जमा कराई गई है।
मोबाइल साइलेंट मोड में रखने के निर्देश
गौरतलब है कि टीएल की बैठक कलेक्टर ललित दाहिमा ने सभी अधिकारियों को मोबाइल साइलेंट मोड में रखने के निर्देश दिए हैं। बैठक शुरू होने के पहले ही सभी अधिकारी अपना मोबाइल फोन साइलेंट मोड में कर लेते हैं। सोमवार को बैठक चल रही थी, इसी बीच नवागत संयुक्त कलेक्टर मिलिंद नागदेव और गोहपारू तहसलीदार मीनाक्षी बंजारे का मोबाइल बजने लगा। कलेक्टर ने तत्काल सीएमएचओ डॉ. राजेश पांडेय को दोनों अधिकारियों की 500-500 की रसीद काटने के निर्देश दिए। जब 15 मिनट तक सीएमएचओ ने कोई कार्रवाई नहीं की तो कलेक्टर ने कहा कि अगर आपने रसीद नहीं काटी तो मैं आपका डबल जुर्माने का रसीद काट दूंगा। इसके बाद सीएमएचओ ने रेडक्रॉस का काम देख रहे लिपिक को बुलाया और दोनों अधिकारियों की रसीद कटवाई।
टपकती है छत, एक साथ लगती हैं दो कक्षाएं
नगर के अर्बन बेसिक स्कूल का भवन खस्ताहाल है। हल्की बारिश होने पर भी छत टपकने लगती है। छठवीं कक्षा में तो पानी भर जाता है। जब भी बारिश होती है छठवीं के विद्यार्थियों को सातवीं के विद्यार्थियों के साथ बैठान पड़ता है। इससे बच्चों की पढ़ाई लगातार प्रभावित होती है। इतना ही शासन की तमाम योजनाओं के बावजूद आज भी यहां के बच्चे टाट पट्टी में बैठने को मजबूर हैं। अर्बन बेसिक स्कूल शहर के बीचोंबीच गंज के पास है। इसकी स्थापना 1955 में हुई थी। उसी समय स्कूल का भवन बना था। यहां पांचवीं से आठवीं तक की कक्षाएं लगती हैं। स्कूल में वर्तमान में सिर्फ 115 छात्र-छात्राएं ही अध्ययनरत हैं (55 छात्राएं, 60 छात्र), जबकि इन्हें पढ़ाने के लिए 5 शिक्षकों का स्टाफ है। स्कूल के 8 कमरों में तीन में कक्षाएं लगती हैं। एक में लाइब्रेरी है। एक कंप्यूटर कक्ष है, एक स्टाफ रूम, जबकि एक प्रधानाध्यापक का कक्ष है। सभी की हालत खराब है। सीलिंग उखड़ चुकी है। सभी कमरों की छत टपकती है। फर्श भी जगह-जगह उखड़ी हुई है। परिसर में छात्र-छात्राओं के लिए अगल-अलग शौचालय तो बने हैं, पर गंदगी से सराबोर हैं। इसी तरह रूम में पंखे तो लगे हैं, लेकिन काम नहीं करते। बताया जाता है कि भवन मरम्मत के लिए दो लाख 80 हजार स्वीकृत हुए थे। एक लाख 60 हजार का काम हो गया है। एक लाख 20 हजार अभी भी खाते में जमा हैं। उसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।