मकोका मामले में आंबेकर और साथियों को बरी करने का फैसला कायम

मकोका मामले में आंबेकर और साथियों को बरी करने का फैसला कायम

Tejinder Singh
Update: 2019-01-02 11:59 GMT
मकोका मामले में आंबेकर और साथियों को बरी करने का फैसला कायम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कथित डॉन संतोष आंबेकर और उसके साथियों को राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने निचली विशेष अदालत के उस फैसले को कायम रखा है जिसमें अदालत ने संतोष आंबेकर, निलेश केदार और महेंद्र भुरे को मकोका की धारा 3, भादंवि की धारा 307 और 120-बी के तहत बरी कर दिया था। सरकारी पक्ष द्वारा हाईकोर्ट में प्रस्तुत दलीलों के अनुसार कुछ वर्ष पूर्व जब निचली अदालत में आंबेकर और साथियों के खिलाफ मकोका प्रकरण का ट्रायल चल रहा था, तो रमणिक भाई पारेख उसमें गवाह थे।

आंबेकर ने कोर्ट की कार्रवाई को प्रभावित करने के उद्देश्य से साजिश रची। आंबेकर उस वक्त जेल में था, वहां एक अन्य कैदी विनोद चामट के साथ यह योजना बनी थी। चामट के जेल से रिहा होने के बाद बीनू शर्मा और महेंद्र भुरे को रमणिक भाई पारेख को जान से मारने की सुपारी दी थी। 6 जुलाई 2002 के दिन जब पारेख अपने दो बेटों के साथ कस्तूरचंद पार्क के पास से अपनी मारुति कार में गुजर रहे थे, तब बीनू शर्मा ने पारेख की कार पर गोलियां बरसा दीं, जिसमें पारेख और उनके बेटे गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

इस मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ सीताबर्डी पुलिस थाने में भादंवि की धारा 307, 34 का मामला दर्ज किया गया था। बाद में पुलिस ने आंबेकर, उसके भतीजे केदार, बीनू शर्मा और महेंद्र भुरे को हिरासत में लिया था। विनोद चामट फरार हो गया था। मामले में सबूतों के अभाव में निचली अदालत ने आंबेकर, केदार और भुरे को रिहा कर दिया था, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। मामले में आरोपियों की ओर से एड. आर.के. तिवारी ने पक्ष रखा।

 

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