बाल आरोपियों का पुनर्वास करना चाहती है नागपुर पुलिस

बाल आरोपियों का पुनर्वास करना चाहती है नागपुर पुलिस

Anita Peddulwar
Update: 2018-06-19 08:12 GMT
बाल आरोपियों का पुनर्वास करना चाहती है नागपुर पुलिस

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दिल्ली के बाल सुधारगृहों की तर्ज पर अब नागपुर पुलिस यहां के बाल आरोपियों का पुनर्वास करना चाहती है। इसके लिए शहर पुलिस आयुक्त डा. के. व्यंकटेशम ने कमर कसी है। हाल ही में कुछ पुलिस अधिकारियों को उन्होंने दिल्ली के बाल सुधारगृहों का दौरे पर भेजा था। दौरे पर गए पुलिस अधिकारियों ने दिल्ली के बाल सुधारगृहों की तर्ज पर नागपुर में बाल आरोपियों का रिहैबिलिटेशन (पुनर्वास) पर जोर दिया है। दिल्ली पुलिस बाल आरोपियों के पुनर्वास को लेकर काफी गंभीर है। इसके लिए वहां पर कई अभिनव प्रयोग किए जा चुके हैं, जिसमें पुलिस विभाग को अन्य संबंधित विभागों की मदद से कार्य करने में सफलता मिली है।

अलग से इमारत  
यह पहली बार होगा, जब नागपुर पुलिस बाल आरोपियों को सामाजिक स्तर पर जीवन जीने की कला पुनर्वास के माध्यम से सिखाएगी। इसके लिए अलग से इमारत का निर्माण किया जाएगा। सुधारगृह में रहने के दौरान उन्हें इस बात का एहसास नहीं कराया जाएगा कि वह बाल आराेपी हैं। इस बारे में पुलिस विभाग के अधिकारियों की जल्द ही जिलाधीश, महिला व बाल कल्याण समिति तथा निजी सामाजिक संगठनों के साथ बैठक होने वाली है। इस कार्य के लिए पुलिस आयुक्त डॉ. के व्यंकटेशम ने आर्थिक अपराध शाखा पुलिस विभाग की उपायुक्त श्वेता खेडकर को जिम्मेदारी दी है।

कई हो चुके हैं बालिग
बाल सुधारगृह से छूटे करीब 150 बाल आरोपियों से पुलिस, निजी सामाजिक संगठनों व समिति के सदस्यों ने मुलाकात कर उनके जीवन के बारे में जानकारी हासिल की। इसमें तो कई बाल आरोपी अब बालिग हो चुके हैं। वह दोबारा इस दलदल में न फंसे उनका मार्गदर्शन िकया गया। सामाजिक संगठनाें के माध्यम से उनकी हर गतिविधियों पर पुलिस नजर रखेगी कि कहीं वह किसी अपराध की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं।

30 बाल आरोपियों ने सीखे जिंदगी जीने के हुनर 
सूत्रों के अनुसार, महिला व बाल कल्याण समिति विभाग की ओर से हाल ही में 30 बाल आरोपियों को कौशल्य विकास प्रशिक्षण के अंतर्गत प्रशिक्षित किया गया। इन बाल आरोपियों को कार वाशिंग, जेरॉक्स कैसे करें और आग लगने पर उसे कैसे नियंत्रिक किया जा सकता है, इस बारे में  प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षित बाल आरोपियों को विधि प्राधिकरण सेवा विभाग के अधिकारी की प्रमुख उपस्थिति में जल्द ही प्रमाणपत्र दिया जाने वाला है। यह जानकारी जिला  महिला व बाल कल्याण समिति विभाग के अधिकारी विजय परदेसी ने दी।

वह खुद को बाल अपराधी न समझें
शहर पुलिस विभाग बाल आरोपियों को ऐसा दोस्ताना माहौल देना चाहती है, जहां उन्हें यह न लगे कि वह अपराधी हैं, बल्कि इस बात की कोशिश की जाएगी, उनके मन में दोबारा कोई अपराध का ख्याल न आए। वह इस पुनर्वास में रहते हुए यह सीखेंगे कि अपराध दोबारा उनसे न हो। इस अपराध के कारण उनकी जिंदगी दोबारा डिस्टर्ब न हो। 
(श्वेता खेडकर, पुलिस उपायुक्त, आर्थिक अपराध शाखा पुलिस विभाग, नागपुर) 

रास्ते पर लाने की कोशिश 
किसी बाल आरोपी का एक अपराध के कारण जिंदगी हमेशा के लिए तबाह न हो जाए, इसके लिए उसे सीधे रास्ते पर लाने की कोशिश की जा रही है। सामाजिक संगठनों के मार्फत इन बाल आरोपियों पर नजर रखी जाएगी, ताकि वह गुनाह के दलदल में दोबारा न जाए। इस दिशा में जल्द ही संबंधित विभागों की बैठक होने वाली है।
(विजय परदेसी, जिला महिला व बाल कल्याण अधिकारी, नागपुर)

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