प्रदूषण नहीं खुशियों को दें दावत : धुआं बढ़ा सकता है अस्थमा के मरीजों की परेशानी

प्रदूषण नहीं खुशियों को दें दावत : धुआं बढ़ा सकता है अस्थमा के मरीजों की परेशानी

Tejinder Singh
Update: 2019-10-27 09:40 GMT
प्रदूषण नहीं खुशियों को दें दावत : धुआं बढ़ा सकता है अस्थमा के मरीजों की परेशानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाले विषैले धुएं के कारण अस्थमा व अन्य प्रकार के श्वास रोगियों की परेशानी बढ़ जाती है। देश में हुए अध्ययन के अनुसार पटाखों से निकलने वाले धुएं से 31.2 फीसदी लोगों को खांसी, गले में घरघराहट एवं सांस फूलने जैसी परेशानी बढ़ जाती है। इसके साथ ही ऐसे लोगों काे भी परेशानी होती है, जिन्हें पहले से कोई श्वास संबंधी परेशानी नहीं है। श्वास संबंधी परेशानी के अलावा फटाखों से जलने, कान तथा आंख को नुकसान का भी खतरा रहता है। श्वास रोग विशेषज्ञों के अनुसार पटाखों में 75 प्रतिशत पोटैशियम नाइट्रेट, 15 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड, 10 प्रतिशत सल्फर होता है। इन्हंे जलाने पर कई तरह के खतरनाक गैस निकलते हैं।

पहले से ही रखें तैयारी

दिवाली के दौरान अस्थमा व अन्य प्रकार के श्वास संबंधी रोगियों को पहले से तैयारी रखनी चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार वातावरण में धुएं व विषैली गैसों के बढ़ने से अस्थमा अटैक या श्वास की परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में मरीजों को अपने इनहेलर यंत्र हमेशा साथ रखना चाहिए। 

प्रदूषण को नहीं, खुशियों को दें दावत

धुएं के कारण शहर की आबोहवा खराब हो जाती है। कुछ क्षेत्रों में तो खतरनाक स्थिति तक पहुंच जाती है। देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच जाने के कारण पटाखों पर आंशिक प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। वहां केवल ग्रीन पटाखे को ही अनुमति मिली है। भले ही नागपुर में स्थिति इतनी खराब नहीं हो, पर यहां भी ध्यान देने की जरूरत है। महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आकड़ों से साफ है कि दिवाली के बाद शहर में वायु प्रदूषण का स्तर लगभग दो गुना हो जाता है। पर्यावरणविदों ने शहरवासियों से इस दिवाली खुशियों को दावत देने और प्रदूषण बढ़ाने वाले गतिविधियों से दूर रहने की अपील की है।  

रोशनी और साज-सज्जा करें

दिवाली पर पटाखों के बजाय रोशनी और साज-सज्जा पर ध्यान देने की जरूरत है। पटाखों के कारण न सिर्फ वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि बड़ी संख्या में पशु-पक्षियों को भी परेशानी होती है। बाजार में ग्रीन पटाखे के नाम पर मिल रहे पटाखे भी 30 फीसदी ही कम प्रदूषण करते हैं, पर प्रदूषण तो करते ही हैं, ऐसे में पटाखों से दूरी ही बेहतर है।

पर्यावरण अनुकूल हो दिवाली, स्वच्छता पर ध्यान दें

दिवाली रोशनी, स्वच्छता और सजावट का त्योहार है। हमें घर व आस-पास के परिसर की स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही दीयों की रोशनी से दुनिया और मन का अंधेरा दूर करना चाहिए। कुछ पल की खुशी के लिए पटाखे छोड़कर सांस लेना दूभर करने से अच्छा है दिवाली मनाने का अन्य विकल्पों को अपनाया जाए। यह हम सभी के लिए उत्तम होगा।

 

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