प्रदेश में 24 लाख हुई पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या

प्रदेश में 24 लाख हुई पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-12 17:06 GMT
प्रदेश में 24 लाख हुई पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश में तेजी से बढ़ती बेरोजगारी के चलते पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 24 लाख तक पहुंच गई है। इस संख्या के विरुद्व युवाओं को सरकार द्वारा रोजगार उपलब्ध कराने की स्थिति पर गौर किया जाए तो वर्ष 2015 में प्रदेश के 48 रोजगार कार्यालयों ने मिलकर मात्र 334 बेरोजगारों को रोजगार दिला सके हैं। बता दें कि ये आंकड़े विचार मप्र के अक्षय हुंका तथा पूर्व एडीजी विजय बाते ने शुक्रवार को राजधानी में जारी किए।

उन्होंने बताया प्रदेश में 21 से 30 वर्ष की आयु के लगभग 1 करोड़ 41 लाख युवा हैं इनके बीच बीते दो वर्ष में 53 प्रतिशत बेरोजगार बढ़े हैं इस क्रम में दिसंबर-17 मेें पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 23.90 लाख हो गई है जबकि दिसंबर 2015 के आंकड़ों में पंजीकृत बेरोजगारों में 88 प्रतिशत शिक्षित थे। प्रदेश के 457 सरकारी महाविद्यालय, 864 प्राइवेट महाविद्यालय, 227 तकनीकी महाविद्यालय है। केवल सरकारी महाविद्यालय मेें 2016-17 में 2.08 लाख छात्रों ने प्रवेश लिया है। उन्होंने बताया इस स्थिति के चलते बेरोजगार सेना का गठन किया गया है। यह सेना शिक्षित युवा रोजगार गारंटी कानून बनाने के लिए सरकार को मजबूर करेगी। इस अवसर पर पूर्व एडीजी विजय बाते ने बताया युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद भी रोजगार दो अथवा बेरोजगारी भत्ता दो के नाम पर सर्वाधिक आंदोलन किये लेकिन अब वे युवाओं के नाम पर चर्चा करने तक को तैयार नहीं है। उन्होंने बताया संगठन ने शुक्रवार से ही हस्ताक्षर अभियान प्रारंभ किया है। इन हस्ताक्षरों से युक्त ज्ञापन अतिशीघ्र ही मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि पूरे प्रदेश में एक साथ आंदोलन चलाने की तैयारी की जा रही है।

क्या है समस्या का कारण

  •  सरकार स्वयं मानती है कि उसके पास बेरोजगारों से संबंधित सही आंकड़े नहीं है। जब समस्या के आंकड़े ही उपलब्ध नहीं हैं तो समाधान मिलने की आशा       निराधार है।
  •   प्रदेश मेें एक लाख से अधिक स्वीकृत पद पड़े है जिन्हें सरकार भरना ही नहीं चाहती।
  •   प्रदेश में युवाओं के हितों को ध्यान में नहीं रखा गया है और प्रदेश में उपलब्ध नौकरियों में उनके लिए कोई आरक्षण नहीं है।
  •   अधिकारियों और नेताओं की अदूरदर्शिता के चलते प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र खस्ताहाल हैं।

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