'भारत में महिलाओं की स्थिति' रिपोर्ट के लोकार्पण अवसर पर राज्यपाल ने इसे नए युग की शुरुआत बताया

'भारत में महिलाओं की स्थिति' रिपोर्ट के लोकार्पण अवसर पर राज्यपाल ने इसे नए युग की शुरुआत बताया

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-11 04:41 GMT
'भारत में महिलाओं की स्थिति' रिपोर्ट के लोकार्पण अवसर पर राज्यपाल ने इसे नए युग की शुरुआत बताया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश के राज्यपाल भगतसिंह कोशियारी ने नागपुर यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में जमकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की नीतियों की तारीफ की। दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र द्वारा तैयार "भारत में महिलाओं की स्थिति" रिपोर्ट के लोकार्पण अवसर पर राज्यपाल बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। देश के 29 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों की 74 हजार महिलाओं से संपर्क करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है। प्रदेश में गर्म चुनावी माहौल और आदर्श आचार संहिता के बीच राज्यपाल का भाषण  चर्चा का विषय बना रहा। राज्यपाल ने कहा कि यह भारत की माताओं का शील ही था कि उन्होंने गांधी, नेहरू, विवेकानंद और नरेंद्र मोदी जैसे सपूतों को जन्म दिया। अब अतीत के बुरे अध्याय को भूलने का वक्त आ गया है। विविध योजनाओं की बदौलत देश में एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। 

इनकी थी उपस्थिति
कार्यक्रम में नीति आयोग की सदस्य बिंदू डालमिया की भी विशेष उपस्थिति थी। उन्होंने रिपोर्ट को महत्वपूर्ण बताते हुए उसे महिला विकास से जुड़ी नीतियां निर्धारित करने में सहायक बताया। कार्यक्रम की प्रस्तावना संगठन सचिव डॉ. अंजलि देशपांडे ने रखी। प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. मनीषा कोठेकर ने रिपोर्ट पढ़ी। मंच पर राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांताक्का, नागपुर विवि कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थ विनायक काणे और प्रभारी प्र-कुलगुरु डॉ. विनायक देशपांडे उपस्थित थे।

महिलाओं की क्षमता बढ़ी
राज्यपाल ने कहा कि भारत में महिलाओं की शक्ति केवल इसलिए नहीं बढ़ी है कि उनके बैंक खाते खुल गए हैं। उन्हें गैस कनेक्शन मिल गए हैं और उनके लिए शौचालय के प्रबंध हो गए हैं। उनकी शक्ति इसलिए बढ़ी है क्योंकि वे कथा चिंतन में अपना खासा समय व्यतीत करती हैं। आज की महिलाएं वैज्ञानिक और आईएएस बन रही हैं। कठिन क्षेत्रों में भी बखूबी काम कर रही हैं। राज्यपाल ने देश में होने वाले रिसर्च पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में बड़ी संख्या में शोध होते हैं, लेकिन उनमें से एक प्रतिशत रिसर्च को केंद्र में रख कर बड़ा परिवर्तन नहीं ला पाते। उन्होंने कहा कि देश की रिसर्च की उपयोगिता को बढ़ाने की जरूरत है। 

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