एक यूनिट ब्लड तीन मरीजों के आ रहा काम, किसी तरह का खतरा भी नहीं

एक यूनिट ब्लड तीन मरीजों के आ रहा काम, किसी तरह का खतरा भी नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-09 09:22 GMT
एक यूनिट ब्लड तीन मरीजों के आ रहा काम, किसी तरह का खतरा भी नहीं

डिजिटल डेस्क शहडोल । जिला चिकित्सालय स्थित ब्लड बैंक जिले के साथ-साथ आसपास के जिलों के मरीजों की जान बचाने में योगदान दे रहा है। नवंबर माह में ही यहां से कटनी, उमरिया और अनूपपुर जिले में ब्लड भेजा गया है।   यह सब हो रहा है ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट के कारण। इससे एक यूनिट ब्लड तीन मरीजों के काम आता है। वर्तमान में ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में ब्लड उपलब्ध है। 
  जिले में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट का शुभारंभ पिछले वर्ष हुआ था। इसकी मदद से एक यूनिट ब्लड को तीन हिस्सों में अलग-अलग किया जाता है। आरबीसी, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स। अमूमन मरीजों को पी-आरबीसी (पैक्ड आरबीसी) ही चढ़ाया जाता है। ब्लड सेपरेशन की सुविधा नहीं होने पर पूरा ब्लड मरीजों को चढ़ाया जाता था, जिससे कई तरह के साइड इफेक्ट का खतरा रहता था। जबकि प्लाज्मा और प्लेटलेट्स की जरूरत पडऩे पर मरीजों को यहां से रेफर कर दिया जाता था। पिछले एक वर्ष से मरीजों को तीनों सुविधाएं जिले में ही मिल रही हैं। इस वर्ष नवंबर तक पांच हजार से अधिक मरीजों को पी-आरबीसी और 506 मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाया जा चुका है। जरूरतमंदों को बिना एक्सचेंज के ही रक्त दिया जाता है। 
ब्लड बैक : एक नजर 
 ब्लड कलेक्शन : 6800
 पी-आरबीसी चढ़ा : 5005 
 प्लेटलेट्स चढ़ा : 506 
 रोज की डिमांड : 30-40 
पी-आरबीसी की जरूरत ज्यादा, प्लाज्मा की बहुत कम
जब मरीज का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है तो उसे आरबीसी चढ़ाया जाता है। डिलेवरी, एनीमिया, सिकल सेल, थैलेसीमिया के मरीजों को पी-आरबीसी की ही जरूरत होती है। वहीं जब खून का आयतन बढ़ाना होता है तो प्लाज्मा चढ़ाया जाता है। इसकी सबसे ज्यादा जरूरत बर्न केस में होती है। खून में प्लेटलेट्स काउंट कम होने पर प्लेटलेट्स चढ़ता है। इसकी सबसे ज्यादा जरूरत डेंगू होने पर पड़ती है। जिले में प्लाज्मा की डिमांट काफी कम है। अभी तक 100 से 150 यूनिट प्लाज्मा ही मरीजों को लगा होगा। जो प्लाज्मा बचता है उसको फार्मास्यूटिकल कंपनियों को बेच दिया जाता है। शासन से जिन कंपनियों को कांटैक्ट है, उनको यह प्लाज्मा दिया जाता है। 
35 दिन संरक्षित रखा जा सकता है रक्त
ब्लड को 35 दिनों तक संरक्षित रखा जा सकता है। इसके बाद यह खराब हो जाता है। नवंबर माह में जिले का कैंप कलेक्शन 278 यूनिट था। इस समय हेल्दी सीजन चल रहा है, इसलिए ब्लड की जरूरत सामान्य दिनों की तुलना में कम पड़ती है। पहले जहां 40 से 45 यूनिट ब्लड की जरूरत रोज पड़ती थी। इस समय 25 से 30 यूनिट रक्त की ही डिमांड है। इसको देखते हुए नवंबर माह में बचा हुआ ब्लड उमरिया, अनूपपुर और कटनी जिले के ब्लड बैंकों में दिया गया था, ताकि वह खराब ने हो और जरूरतमंद लोगों के काम आ सके। 
दो ब्लड स्टोरेज सेंटर 
जिले में दो स्टोरेज सेंटर ब्यौहारी और जयसिंहनगर में भी नियमित रूप से ब्लड भेजा जाता है। इसके अलावा निजी अस्पतालों को भी ब्लड की सप्लाई की जाती है। निजी अस्पतालों के मरीजों को प्रोसेसिंग फीस लेने के बाद ब्लड दिया जाता है। एक यूनिट आरबीसी के लिए 1050 रुपए जबकि एक यूनिट प्लेटलेट्स और प्लाज्मा के लिए 300 रुपए प्रासेसिंग फीस ली जाती है। 
इनका कहना है
ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में रक्त उपलब्ध है। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक ब्लड कैंपों के माध्यम से कलेक्ट हो। लोगों से यही अपील है कि रक्तदान शिविरों में रक्तदान करें।  
डॉ. सुधा नामदेव, प्रभारी ब्लड बैंक 
 

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