गैस पाइपलाइन में हुए विस्फोट पर पीड़त परिवार को दस लाख मुआवजे का आदेश 

गैस पाइपलाइन में हुए विस्फोट पर पीड़त परिवार को दस लाख मुआवजे का आदेश 

Tejinder Singh
Update: 2019-08-26 15:26 GMT
गैस पाइपलाइन में हुए विस्फोट पर पीड़त परिवार को दस लाख मुआवजे का आदेश 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य उपभोक्ता आयोग ने महानगर गैस लिमिटेड के कर्मचारी की लापरवाही से घर में हुए विस्फोट के चलते अपनी मां को गंवाने वाले बेटे को तीन लाख रुपए नौ प्रतिशत ब्याज के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया है। 20 साल पहले घटी इस घटना को लेकर ज्योतिबेन बोरा (मृतक) के परिजनों ने उपभोक्ता आयोग में दावा दायर किया था। घाटकोपर निवासी वोरा के परिवारवालों ने 21 सितंबर 1998 को पाइपलाइन गैस के लिए अपनी पंजीयन कराया था। इस दौरान उनकी सोसायटी में रहनेवाले सभी लोगों ने गैस पाइप लाइन का कनेक्शन ले लिया था। कनेक्शन के बाद 28 दिसंबर 1998 को गैस कंपनी का एक कर्मचारी उनके घर में लीकेज की शिकायत मिलने पर जांच करने के लिए आया था। इस दौरान घर में केवल ज्योतिबेन वोरा ही मौजूद थी। घर के सभी लोग पुणे गए हुए थे। इसलिए बोरा ने गैस कंपनी के कर्मचारी को कहा िक वह पाइपलाइन के मरम्मत का काम बाद में करे। लेकिन कर्मचारी नहीं माना उसने कहा कि सिर्फ कुछ मिनटों में काम पूरा कर लिया जाएगा। पर जैसे ही काम शुरु किया गया, वहां एक बड़ा धमाका हुआ। इस धमाके में बोरा काफी बुरी तरह जल गई और दूसरे दिन अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।

20 साल पहले हुई थी घटना, उपभोक्ता आयोग का फैसला  

इसके बाद वोरा के बेटे ने राज्य उपभोक्ता आयोग में मां की मौत के लिए पांच लाख रुपए का मुआवजा, पांच लाख रुपए मानसिक यातना के लिए और 6 लाख रुपए घर की मरम्मत के लिए देने की मांग की। आयोग के न्यायिक सदस्य एके झाडे के सामने मामले की सुनवाई हुई है। सुनवाई के बाद श्री झाडे ने गैस कंपनी को सेवा में कमी का दोषी पाया और बोरा का मौत के लिए गैस कंपनी को तीन लाख पांच हजार रुपए नौ प्रतिशत ब्याज के साथ शिकायत दायर करने की तारीख के बाद (1999) से देने का निर्देश दिया। जबकि 6 लाख 85 हजार रुपए घर की मरम्मत के लिए नौ प्रतिशत ब्याज के साथ भगुतान करने को कहा। एक लाख रुपए इस घटना के चलते परिजनों को हुई मानसिक यातना के लिए देने का निर्देश दिया। 
 

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