पालीवाल समाज राखी पूर्णिमा पर पूर्वजों को करता है याद, जानिए क्या है वजह

पालीवाल समाज राखी पूर्णिमा पर पूर्वजों को करता है याद, जानिए क्या है वजह

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-27 06:31 GMT
पालीवाल समाज राखी पूर्णिमा पर पूर्वजों को करता है याद, जानिए क्या है वजह

डिजिटल डेस्क, अकोला। भाई-बहन के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन के अवसर पर पालीवाल ब्राह्मण समाज की ओर से राखी बांधने की बजाय राखी पूर्णिमा पर एकता दिवस मनाया जाता है। पालीवाल ब्राह्मण समाज में रक्षा बंधन पर्व नहीं मनाया जाता। 26 अगस्त रक्षाबंधन पूर्व पर पालीवाल समाज की ओर से स्थानीय सुधीर कालोनी के वृंदावन नगर में तारा पालीवाल के निवास पर बैठक हुई। जिसका उद्घाटन वरिष्ठ कमलनयन पालीवाल के हाथों किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रामेश्वर पालीवाल ने की।

इस दिन समाज के सभी लोग एक जगह आकर अपने पूर्वजों को श्रध्दांजलि अर्पित करते हैं। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. योगेश पालीवाल, आभार प्रदर्शन श्यामसुंदर पालीवाल ने किया। कार्यक्रम की सफलता के लिए श्रीमती तारा पालीवाल, अनुसया पालीवाल, शांता पालीवाल, डॉ. मनीषा पालीवाल, नीतू पालीवाल, रवि पालीवाल, जुगल पालीवाल, मीना पालीवाल, सुमित पालीवाल, अलका पालीवाल,, सुधीर लहरिया, समता लहरिया, पायल पालीवाल, श्रीकांत पालीवाल, सिध्देश पालीवाल ने प्रयास किया। 

ये है वह वजह
पालीवाल समाज के ब्राह्मण कुशल व्यापारी होने से विश्व भ्रमण करते हुए व्यापार करते थे। बारहवीं सदी में रविसिंह राठौड़ के निधन पश्चात पालीवाल समाज का रक्षक नहीं रह गया था। इस बात का लाभ उठाकर यवनों ने पाली पर हमला कर दिया। यवनों के सेनापति ने पालीवाल समाज की सुंदर कन्या से विवाह रचने का षड्यंत्र रचते हुए इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए मजबूर किया, लेकिन 84 गांवों के पालीवाल समाज के लोगों ने रातों-रात बैठक लेकर गांव छोड़ने का निर्णय लिया।

इसकी जानकारी यवनों को मिली और उन्होंने हमला कर दिया। जिसमें दोनों ओर से युध्द हुआ अंत में पालीवालों को हार का मुंह देखना पड़ा। गौरी शाह बादशाह ने लाखों पालीवाल लोगों का कत्ल कर दिया। युध्द भूमि पर खून की धाराएं बह रही थी। यह रक्तपात राखी पूर्णिमा के दिन हुआ। जिससे पालीवाल समाज रक्षाबंधन न मनाते हुए भावनिक तथा सामाजिक एकता दिवस मनाते हैं। इस दिन सभी एक जगह आकर पूर्वजों को श्रध्दांजलि देते हैं।

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