संसद : फिर उठा धनगर आरक्षण का मुद्दा, लातूर में एफ एम रेडियो स्टेशन और बाढ़ प्रभावित विदर्भ को विशेष सहायता पैकेज की मांग
संसद : फिर उठा धनगर आरक्षण का मुद्दा, लातूर में एफ एम रेडियो स्टेशन और बाढ़ प्रभावित विदर्भ को विशेष सहायता पैकेज की मांग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा सांसद डॉ विकास महात्मे ने महाराष्ट्र की धनगर जनजाति को अनुसूचित जनजाति (एस टी) की सूचि में शामिल कर उन्हें आरक्षण देने की अपनी पुरानी मांग फिर से राज्यसभा में उठाई। उन्होने कहा कि र’’ व ‘ड’ के उच्चारण में फर्क की वजह से इस पिछड़े समुदाय को आरक्षण से वंचित रखना ठीक नहीं है। डॉ महात्मे ने यह मांग राज्यसभा में विशेष उल्लेख के तहत उठाई। उन्होने कहा कि महाराष्ट्र में धनगर अनुसूचित जनजाति का विषय वर्षों से लंबित है। केवल ‘र’ की जगह ‘ड’ होने की वजह से यह समुदाय एस टी आरक्षण से वंचित है। दरअसल केन्द्र सरकार की अनुसूचित जनजाति की सूचि में ‘धनगर’ की जगह ‘धनगड’ हुआ है। ऐसा अक्सर होता है कि हिंदी में उच्चारण के वक्त ‘र’ का ‘ड’ होता है, जैसे एकर को एकड़ कहा जाता है। सांसद ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह भी है कि महाराष्ट्र में जिस ‘धनगड’ जनजाति को अनुसूचित जनजाति में आरक्षण दिया गया है, वह धनगड जनजाति महाराष्ट्र में है ही नहीं। ऐसे में सरकार से अनुरोध है कि इस पर तुरंत अमल हो और महाराष्ट्र की धनगर जनजाति को एसटी आरक्षण दिया जाए।
कली बीज बेचने वाली महाबीज कंपनी पर कार्रवाई की मांग
अमरावती से सांसद नवनीत राणा ने लोकसभा में महाराष्ट्र में महाबीज कंपनी द्वारा किसानों को नकली बीज मुहैया कराने की मुद्दे की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि महाबीज से किसानों के 90 प्रतिशत नकली बीज दिया गया है जिससे प्रदेश के किसानों का बड़ी मात्रा में नुकसान झेलना पड़ा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि ऐसी कंपनियों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए। सांसद राणा ने इसके अलावा किसानों से जुड़े अन्य मुद्दे की ओर भी सदन का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा फसल बोने के दौरान ही उनकी फसल का मूल्य तय करना चाहिए। सूखा, बाढ़ और तूफान जैसी आपत्ति आने पर उनके फसल को हुए नुकसान का मुआवजा तथा उनको बीमे की राशि भी नहीं मिल पाती है। इसलिए बुआई से लेकर कटाई तक उनकी फसल को डेढ़ गुना दाम मिलना चाहिए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत एक साल में किसानों को दी जा रही छह हजार रुपये की सहायता को बढाकर 12 हजार कर दिया जाए।
लातूर में एफ एम रेडियो स्टेशन खोलने की मांग
लातूर से भाजपा सांसद सुधाकर श्रृंगारे ने लोकसभा में शहर में एक एफ एम रेडियो स्टेशन स्थापित कराने की मांग उठाई। उन्होंने इस मुद्दे को उठाते हुए खेद जताया कि इससे पहले भी वे सदन में इस मुद्दे को उठा चुके है और सरकार को भी पत्र लिखा है, लेकिन इस मांग को अब तक पूरा नहीं किया गया है। श्रृंगारे ने सदन को बताया कि इस मसले पर केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर से एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार जनवरी 2020 में फेस 3 योजना के तहत महाराष्ट्र के 8 शहरों सहित देशभर में 100 एफ एम रेडियो स्टेशन स्थापित करने जा रही हैं। लेकिन खेद की बात यह है कि राज्य के चयनित 8 शहरों में लातूर को शामिल नहीं किया गया है। इससे लातूर शहर के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। लिहाजा सरकार से अनुरोध है कि लातूर शहर में एक एफएम रेडियो स्टेशन स्थापित करने के लिए शीघ्रातिशीघ्र कार्रवाई की जाए।
केन्द्र सरकार बाढ़ प्रभावित विदर्भ क्षेत्र के लिए विशेष सहायता पैकेज घोषित करें
भंडारा-गोंदिया से भाजपा सांसद सुनील मेंढे ने लोकसभा में केन्द्र सरकार से भीषण बाढ से प्रभावित विदर्भ क्षेत्र के लिए विशेष सहायता पैकेज घोषित करने की मांग उठाई। सांसद मेंढे ने सदन में कहा कि विदर्भ क्षेत्र इस बार भीषण बाढ के चपेट में है। नागपुर, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर और गढचिरोली जिला बाढ से सबसे अधिक प्रभावति है। इतना ही नहीं यहां के कई इलाकों के गांव जलमय हो गए है। उन्होंने कहा कि छिंदवाडा जिले के बांध से छोडे गए पानी के कारण स्थिति और भी खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि इससे नागपुर, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर और गढचिरोली जिले की 14 तहसीलों के कुल 148 गांव बाढ से प्रभावित हुए हैं। इस त्रासदी से कम से कम 92000 लोग प्रभावित होने का अनुमान है। संपत्ति, फसलों और बुनियादी ढांचे को भी काफी नुकसान पहुंचा है। बावजूद इसके राज्य सरकार ने बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए 16.50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है। लिहाजा मांग है कि केन्द्र सरकार तत्काल रुप से विदर्भ क्षेत्र के लिए विशेष सहायता पैकेज घोषित करें।
प्याज निर्यात रोकने के फैसले पर पुनर्विचार करे सरकार : सातव
कांग्रेस सांसद राजीव सातव ने प्याज के निर्यात पर रोक लगाने वाली केन्द्र सरकार की अधिसूचना को किसान विरोधी बताते हुए सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उन्होने कहा है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों को काफी नुकसान होगा। सातव ने यह मसला शुक्रवार को राज्यसभा में विशेष उल्लेख के तहत उठाया। उन्होने कहा कि महाराष्ट्र भारत में प्याज के सबसे अधिक निर्यात करने वाले राज्यों में से एक है। वर्ष 2019-20 में महाराष्ट्र से 18.50 लाख मीट्रिक टन प्याज का निर्यात किया गया था। यह राज्य प्याज किसानों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्त्रोत है। सांसद सातव ने कहा कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने वाली सरकार की अधिसूचना किसानों के लिए नुकसानदायक है। गरीब किसान पहले से ही खराब अर्थव्यवस्था और कोविड से पीड़ित हैं और प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध उनके कष्टों को और बढ़ा रहा है। लिहाजा सरकार प्याज निर्यात पर रोक लगाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करे और संबंधित अधिसूचना रद्द करे।
आदिवासी विकास महामंडल और नाफेड किसानों फसल का जल्द करें भुगतान
हिंगोली से सांसद हेमंत पाटील ने लोकसभा में उनके संसदीय क्षेत्र किनवट विभाग में आदिवासी विकास महामंडल और नाफेड द्वारा मक्का और ज्वार की खरीदारी का किसानों को चार महीने बीत जाने के बावजूद अब तक भुगतान नहीं कराने की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि मामले का संज्ञान लेकर किसानों को उनकी फसल का भुगतान शीघ्र कराए जाने के लिए कदम उठाए। सांसद पाटील ने यह मांग कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 पर चर्चा के दौरान उठाई। इस विधेयक का समर्थन करते हुए उन्होंने इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर एतराज भी जताया और इसमें सुधार का अनुरोध किया। इस विधेयक के तहत किसानों को अन्य राज्यों में माल बेचने की छूट मिल गई है। लेकिन इस विधेयक में माल बेचने पर उसका भुगतान करने के लिए तीन दिन की अवधि दी गई है। उन्होंने सवाल किया कि अगर मार्केट में टीवी या कोई चीज खरीदने जाएं और आज खरीदी करके तीन दिन बाद पैसा देंगे तो क्या ऐसा हो पाएगा? उन्होंने कहा कि माल बेचने पर उसी समय कांटा करके किसानों को पैसे मिलना चाहिए। दूसरी बात यह है कि इस बारे में जिला कलेक्टर के पास जो भी विवाद जायेगा, उसका निपटारा 30 दिन में होगा। सांसद पाटील ने कहा कि कलेक्टर से मिलने के लिए वैसे ही समय नहीं मिलता है तो किसान कब उनके पास जाएगा? लिहाजा सरकार से अनुरोध है कि यह विवाद तहसील यानी तहसीलदार के स्तर पर निपटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा आज उपभोक्ता जब 25 रुपये किलो पर प्याज खरीद रहा है तब किसानों को प्रति किलो 1 रुपया मिल रहा है। आज किसानों को दलालों की बेडियों से मुक्त कराने की जरुरत है।