मेट्रो रीजन के गांवों में शराब बेचने की मांगी परमिशन, शराब विक्रेताओं ने ली कोर्ट की शरण

मेट्रो रीजन के गांवों में शराब बेचने की मांगी परमिशन, शराब विक्रेताओं ने ली कोर्ट की शरण

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-14 05:55 GMT
मेट्रो रीजन के गांवों में शराब बेचने की मांगी परमिशन, शराब विक्रेताओं ने ली कोर्ट की शरण

डिजिटल डेस्क,नागपुर। मेट्रो रीजन में आने वाले गांवों में शराब बिक्री के लिए शराब विक्रेताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ की शरण ली है। राज्य उत्पादन शुल्क विभाग ने इन विक्रेताओं के लाइसेंस का नवीनीकरण रोक रखा है। मामले में हाल ही में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने राज्य उत्पादन शुल्क विभाग को लाइसेंस नवीनीकरण पर 4 सप्ताह में निर्णय लेने के आदेश दिए हैं। 

उल्लेखनीय है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने हाईवे से 500 मीटर दूरी तक शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था। तबसे हाईवे के नजदीकी गावों में शराब बिक्री बंद है, लेकिन कुछ दिनों बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ही आदेश में संशोधन करते हुए महापालिका, नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्र से गुजरने वाले हाईवे के नजदीक शराब बिक्री को अनुमति दी थी, लेकिन इसमें ग्राम पंचायतों को शामिल नहीं किया गया और गावों में शराब बिक्री पर प्रतिबंध कायम रहा। ऐसे में शराब विक्रेता शिवकुमार जयस्वाल व अन्य 6 ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 

यह है मामला

याचिकाकर्ता के अनुसार राज्य सरकार ने नागपुर मेट्रोपॉलिटन रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी की स्थापना की है। संबंधित गांव मेट्रो रीजन में आते हैं। महाराष्ट्र क्षेत्रीय व नगर रचना अधिनियम की कलम 40 के तहत मेट्रो रीजन प्राधिकरण ने अपना विकास प्रारूप तैयार किया है। उसे राज्य सरकार ने स्वयं मंजूरी दी है। इसी कारण से मेट्रो रीजन के अधीन आने वाले गावों ने अपना स्वतंत्र विकास प्रारूप तैयार नहीं किया। ऐसे में यहां की शराब दुकानों पर मेट्रो रीजन के नियम लागू होने चाहिए, न कि ग्राम पंचायत के। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार महापालिका, नगरपरिषद और नगर पंचायत की ही तरह मेट्रो रीजन में आने वाले गावों में भी शराब बिक्री को अनुमति मिलनी चाहिए। शराब बिक्री हेतु लाइसेंस नवीनीकरण के लिए  याचिकाकर्ता ने उत्पादन शुल्क विभाग के पास आवेदन किया, लेकिन अब तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुबोध धर्माधिकारी, एड. देवेन चौहान, सरकार की ओर से टी.एच.खान और मेट्रो रीजन की ओर से एड. गिरीश कुंटे ने पक्ष रखा।

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