इजाजत सिर्फ दूध और किराना दुकानों को, खुल गया पूरा बाजार, मंडियों में लाठीचार्ज की नौबत

इजाजत सिर्फ दूध और किराना दुकानों को, खुल गया पूरा बाजार, मंडियों में लाठीचार्ज की नौबत

Bhaskar Hindi
Update: 2021-04-13 10:29 GMT
इजाजत सिर्फ दूध और किराना दुकानों को, खुल गया पूरा बाजार, मंडियों में लाठीचार्ज की नौबत

ये कैसी समझदारी - कई प्रतिष्ठान बंद रहे लेकिन सड़कों पर नजर आई सामान्य दिनों जैसी भीड़
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
नाजुक हालातों के बीच कोरोना हर दिन रिकॉर्ड तोड़ रहा है। वहीं लॉकडाउन के बीच सोमवार को सड़क, बाजार और मंडियों में भी लापरवाही का  रिकॉर्ड बनता नजर आया। पड़ाव मंडी में सामान्य दिनों से कहीं ज्यादा अंधाधुंध भीड़ नजर आई, ऐसा ही जमघट बड़े फुहारे और लार्डगंज में रहा। मालवीय चौक, अंधेरदेव में कपड़े, शूज, पान-मसाले का पूरा बाजार खुला रहा और अंधाधुंध खरीददारी भी चलती रही। सड़कों की तस्वीर भी डरावनी रही, कई जगह काफी देर तक जाम के हालात बने रहे। इस बीच कुछ लोगों को यह कहते हुए सुना गया कि ऐसे में लॉकडाउन का मतलब ही क्या..? 
जिस वक्त लॉकडाउन की नई गाइडलाइन जारी की गई उसी दौरान शहर से यह उम्मीद भी जताई गई कि सोमवार को जब खरीददारी की ढील मिलेगी तो सब कुछ व्यवस्थित रहेगा। सुबह होने के साथ ही लोगों ने इस धारणा को तोडऩे में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। सब्जी मंडी, पड़ाव में त्यौहारी सीजन के माफिक खरीददार उमड़ पड़े। 9 बजे की समय-सीमा समाप्त होने के बाद भी दुकानदार और ग्राहकों को रत्ती भर का फर्क नहीं पड़ा। आखिरकार, देर से सही लेकिन प्रशासन और पुलिस को खबर लग गई। भारी पुलिस बल अलग-अलग मंडियों में पहुँचा और दुकानें बंद कराई गईं। 
मुकादमगंज, फुहारा में भी वैसे ही हालात
सब्जी मंडियों के अलावा थोक किराना कारोबार से जुड़े मुकादमगंज में भी ऐसी ही स्थिति बनी। यहाँ तो लोगों को घंटों तक जाम से जूझना पड़ा। एक समय लोडिंग वाहनों का काफिला इस कदर बढ़ गया कि पूरा ट्रैफिक उलझकर रह गया। फुहारा में भी सामान्य दिनों से ज्यादा दबाव देखा गया।  
लॉकडाउन : खुला-खुला रहा बाजार
*    गाइडलाइन में सिर्फ किराना दुकान, आटा चक्की जैसे कुछ प्रतिष्ठानों को दोहपर 2 बजे तक की रियायात दी गई थी, लेकिन सुबह से ही चाय-पान के टपरे भी खुले नजर आए। 
*    मंडियों तथा बाजारों से लगे क्षेत्रों में चाट, समोसे की दुकानें भी सजी रहीं। खास बात यह है कि इनमें ग्राहकी भी सामान्य दिनों की तरह की देखी गई। 
*    किसी भी प्रतिष्ठान में न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया और न ही सेनिटाइजेशन का। हैरानी वाली बात यह है कि कई लोग बगैर मास्क के भी खरीदी कर गए। 
*    कालाबाजारी के लिए लॉकडाउन एक बार फिर मौका लेकर आया है। पान के टपरों में 10 रुपए वाले पाउच 15 और 15 रुपए का पान 20 रुपए में बेचा गया। 
*    दोहपर होने से पहले तक कहीं न तो पुलिस नजर आई और न ही प्रशासनिक अधिकारी। 2 बजे के बाद  पुलिस कर्मी भी दिखे और हालात भी कुछ सुधरते हुए नजर आए। 
*    सोमवार को पूरे दिन वैसे सख्ती नहीं हो पाई जिससे लॉकडाउन अथव कफ्र्यू के नजरिए से सही कहा जा सके। शाम तक सड़कों में काफी ट्रैफिक रहा। 
 

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