पीएमसी घोटाले के आरोपियों की पुलिस हिरासत बढ़ी, गलत बिजली बिल भेजने पर उपभोक्ता को मुआवजा

पीएमसी घोटाले के आरोपियों की पुलिस हिरासत बढ़ी, गलत बिजली बिल भेजने पर उपभोक्ता को मुआवजा

Tejinder Singh
Update: 2019-10-09 16:28 GMT
पीएमसी घोटाले के आरोपियों की पुलिस हिरासत बढ़ी, गलत बिजली बिल भेजने पर उपभोक्ता को मुआवजा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने पंजाब महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक(पीएमसी) में कथित घोटाले के मामले में आरोपी एचडीआईएल के निदेशक राकेश वाधवान व उसके बेटे सारंग व बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह की पुलिस हिरासत 14 अक्टूबर तक के लिए बढा दिया है। तीनों आरोपियों को पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया गया था।  बुधवार को तीनों आरोपियों को अतिरिक्त मैजिस्ट्रेट एसजी शेख के सामने पेश किया गया। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि पुलिस अभी इन आरोपियों से और पूछताछ करना चाहती है। इसलिए इनकि हिरासत को बढाया जाए। इसके बाद मैजिस्ट्रेट ने तीनों आरोपियों को 14 अक्टूबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। इससे पहले बैंक के कई खाता धारकों ने बैंक अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।  

 

गलत बिजली बिल भेजने पर उपभोक्ता को 35 हजार का मुआवजा- उपभोक्ता मंच 

उधर ठाणे जिले की उपभोक्ता अदालत ने एक बिजली वितरण कंपनी को आदेश दिया है कि वह एक उपभोक्ता को गलत बिल भेजने के लिये 35 हजार रुपये का मुआवजा प्रदान करे। अदालत ने वर्ष 2008 के इस मामले में कहा कि कंपनी की सेवाओं में खामी के चलते शिकायकर्ता को हुई मानसिक परेशानी के लिए उसे उचित मुआवजा मिलना चाहिए। एस डी मडाके की अध्यक्षता वाले उपभोक्ता विवाद निवारण मंच ने बीते 7 अक्टूबर के अपने आदेश में टोरेंट पॉवर लिमिटेड को यह भी निर्देश दिया कि वह भिवंडी के कामतघर निवासी शिकायतकर्ता राजेंद्र जैन के फ्लैट की काटी गई बिजली कनेक्शन जोडा जाए। उपभोक्ता मंच ने जैन की इस शिकायत को माना कि कंपनी ने उसे 19 अप्रैल 2008 को गलत बिल जारी किया था और कहा था कि मीटर नंबर उससे (शिकायतकर्ता) संबंधित नहीं है। जैन ने कहा कि कंपनी द्वारा बिजली आपूर्ति काटे जाने पर उन्हें किराए पर दूसरा फ्लैट लेने को मजबूर होना पड़ा। बिजली कंपनी ने आरोपों से इनकार किया और तीन लाख तीस हजार रुपये के मुआवजा आवेदन का विरोध किया। उपभोक्ता अदालत ने कहा, ‘‘प्रतिवादी (टोरेंट पॉवर) का दायित्व है कि वह किसी उपभोक्ता की बिजली काटने से पहले उसे नोटिस जारी करे। प्रतिवादी ने सिर्फ यह कहा कि बिजली कानूनी तरीके से काटी गई, लेकिन यह उल्लेख नहीं किया कि क्या बिजली काटने से पहले नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया।’’ अदालत ने टोरेंट पॉवर कंपनी लिमिटेड को निर्देश दिया वह उपभोक्ता को 35 हजार रुपये प्रदान करे जिसमें 25 हजार रुपये का मुआवजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना शामिल है।
 

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