नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन कम, राजस्व में लगभग 100 करोड़ की कमी

नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन कम, राजस्व में लगभग 100 करोड़ की कमी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-21 13:04 GMT
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डिजिटल डेस्क,नागपुर। परिवहन विभाग को हर वित्तीय वर्ष मंे राजस्व एकत्रित करने का लक्ष्य दिया जाता है। पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी 438 करोड़ का लक्ष्य दिया गया था, जिसे पूरा करने में नागपुर परिवहन विभाग विफल रहा। इसके कई कारण माने जा रहे हैं। सबसे बड़ा कारण है कि पिछले वित्तीय वर्ष में नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन कम हुए हैं और 2018-19 में परिवहन विभाग 334 करोड़ का धन ही एकत्रित कर पाया।

इसलिए राजस्व में गिरावट

बढ़ती ईंधन की कीमतों से नागपुर परिवहन विभाग का लक्ष्य प्रभावित हुआ है। नए वाहनों के लिए पांच साल का बीमा प्रीमियम, वाहन ऋण पर ब्याज की दर के अलावा ग्राहकों को सस्ते परिवहन की पेशकश करने वाले ऐप-आधारित टैक्सियां भी एक बड़ा कारण है। परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कथित तौर पर कहा कि मोटर वाहन कर नागपुर आरटीओ के लिए राजस्व का प्राथमिक स्रोत है, लेकिन 2018-2019 में नए वाहनों की बिक्री उम्मीद से कम थी और इसलिए राजस्व में गिरावट आई है। आरटीओ का राजस्व संग्रह मोटर वाहनों, यात्री कर और अन्य शुल्क पर कर से आता है।

ऐसी है स्थिति

2017-18 में शहर के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 30,919 नए वाहनों का पंजीकरण किया गया, जबकि वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा घटकर 28,102 हो गया। हालांकि पूर्वी कार्यालय में नए वाहनों का पंजीकरण 2017-18 में 62,616 से बढ़कर 2018-19 में 66,518 हो गया है।

बदल रहे विकल्प

ऑटोमोबाइल बाजार की स्थिति के कारण कई डीलरों को शोरूम बंद करने पड़े। शहर में दो चार पहिया वाहनों के शोरूम बंद कर दिए थे। नए उत्पादों को खरीदने लोगों की प्रवृत्ति कम हो गई है। ओला और उबर ने अपनी राय में निजी चार पहिया वाहन खरीदने के लिए लोगों की आवश्यकता को बदल दिया है। इसके अलावा, जिन लोगों के पास पैसा है, वे अपनी योजनाओं को स्थगित कर देते हैं और इसके बजाय ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सियों में यात्रा करना पसंद करते हैं, जो ऑटोरिक्शा से सस्ता परिवहन पड़ रहा है

2 साल पहले की बात कुछ और थी

दो साल पहले दो और चार पहिया वाहनों की खरीद अपने चरम पर पहुंच गई थी, लेकिन माल, सेवा कर और नीतियों में कुछ अन्य बदलाव के साथ लोगों ने निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन माध्यम का उपयोग करना शुरू कर दिया। एक जानकारी के अनुसार, सितंबर 2018 के बाद से ऑटो इंडस्ट्री को मंदी का सामना करना पड़ा, लेकिन बुनियादी ढांचे के विकास के कारण विदर्भ कम प्रभावित हुआ था।

 

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