नाले का पानी पी रहे इस आदिवासी बहुल गांव के लोग

नाले का पानी पी रहे इस आदिवासी बहुल गांव के लोग

Anita Peddulwar
Update: 2019-01-21 10:18 GMT
नाले का पानी पी रहे इस आदिवासी बहुल गांव के लोग

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। भले ही सरकार ग्रामीण क्षेत्र में विकास करने का ढिंढोरा पीट रही हो, लेकिन सही मायने में ग्रामीण क्षेत्र खासतौर पर गड़चिरोली जिले के आदिवासी बहुल गांव की हालत आज भी बदतर ही है। आज भी यहां के लोग नाले का पानी पीने के लिए मजबूर हैं। जिले के अहेरी तहसील अंतर्गत  गोपनार गांव पिछले 7 दशक से बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। यहां के लोग बुनियादी सुविधाएं सबसे पहले पीने का पानी पहुंचाने की मांग जनप्रतिनिधि और प्रशासन कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि अहेरी तहसील के आरेंदा ग्राम पंचायत अंतर्गत तथा तहसील मुख्यालय  से 36 कि.मी. दूरी पर बसे गोपनार गांव में आजादी के 70 वर्ष बाद भी विकास नहीं हुआ है। इस गांव के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव में जाने के लिए अब तक पक्की सड़क नहीं बनी है। ग्रामीणों को अनेक बार जंगल के रास्ते ही सफर करना पड़ता है। करीब 20 घरों की बस्ती वाले इस गांव में जिला परिषद के माध्यम से स्कूल तो शुरू की गई है, लेकिन स्कूल में शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा विद्यार्थियों को किताबें भी वितरित नहीं किए जाने की जानकारी मिली है। इन समस्याओं का संज्ञान लेने के लिए अब तक कोई जनप्रतिनिधि अथवा प्रशासन का अधिकारी गांव नहीं पहुंचा है।

इस गांव के नागरिक केवल मतदान के कार्य तक ही सीमित है। चुनाव में मतदान करने के बाद गांव की ओर कोई ध्यान नहीं देता। ऐसा आरोप ग्रामीणों ने लगाया है। जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन से ग्रामीणों ने इस गांव की समस्या की ओर गंभीरता से ध्यान देकर तत्काल उपाययोजना करने की मांग की है। 

बारिश में टूट जाता है संपर्क 
इस गांव में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं बनाई गई है। विशेषत: गांव के मार्ग पर नाला है। इस नाले पर पुलिया का निर्माण नहीं किए जाने के कारण बारिश के दिनों में गांव का संपर्क तहसील मुख्यालय अथवा अन्य गांवों के साथ टूट जाता है। पिछले अनेक वर्ष से ग्रामीणों द्वारा संबंधित नाले पर पुलिया का निर्माण करने की मांग की जा रही है। लेकिन अब तक पुलिया का निर्माण नहीं किया गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। 

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