जिम्मेदार विभाग नहीं दे रहा ध्यान।

गेहूं खरीदी में अधूरी तैयारी, किसान हो रहें परेशान जिम्मेदार विभाग नहीं दे रहा ध्यान।

Safal Upadhyay
Update: 2022-04-12 08:43 GMT
जिम्मेदार विभाग नहीं दे रहा ध्यान।

डिजीटल डेस्क, कटनी। गेहूं खरीदी में अधूरी तैयारी हावी होते हुए दिखाई दे रही है, 10 दिन बीतने के बाद भी जहां अभी तक पूरे केन्द्रों को खाद्य विभाग अंतिम रुप नहीं दे सका है, वहीं जो 85 केन्द्र है उनमें से 84 केन्द्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है। महज सलैया पटोरी इकलौता केन्द्र है, यहां पर 4 किसानों ने उपज बेचकर प्रशासन की लाज बचा ली है। ऐसा नहीं है, कि केन्द्रों में किसान उपज बेचने के लिए जानकारी लेने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं, लेकिन तैयारी पूरी न होने से वे निराश होकर लौट रहे हैं। कृषि उपज मंडी में एक तरफ गेहूं की आवक तेजी से हो रही है। दूसरी तरफ पंजीयन कराने के बाद भी अन्नदाता कई तरह की आशंकाओं से घिरे हैं।

सिर्फ एक जगह शुरुआत-

सलैया पटोरी में ही खरीदी की शुरुआत हो सकी है। 4 किसानों 262 क्विंटल उपज शासन को बेचा हैं। जबकि अन्य 85 केन्द्रों में किसान नहीं पहुंचे हैं। इसके पीछे सहकारिता विभाग के कर्मचारियों का आंदोलन में चले जाना रहा है, जिस समय तैयारी शुरु की गई थी। उस समय कर्मचारियों ने वेतन विसंगति को लेकर आंदोलन का शंखनाद कर दिया था। बाद में वे काम में जरुर लौट आए। इसके बावजूद तैयारियों में इसका विपरीत असर पड़ा।

केन्द्रों में असमंजस बरकरार-

वर्तमान समय में सिर्फ 85 केन्द्रों के नाम ही खाद्य एवं आपूर्ति विभाग तय कर सका है। सूची में 5 खरीदी केंन्द्र और हैं। फाइनल सूची तैयार नहीं होने से उस क्षेत्र के किसान नकद के लिए बाजार में समर्थन मूल्य से कम दामों में उपज बेचने को विवश हैं। दरअसल इस तरह की अव्यवस्था धान उपार्जन के समय भी हुई थी। धान खरीदी की जब शुरुआत हो चुकी थी, उसके एक-दो दिन बाद ही केन्द्रों के नाम सार्वजनिक किए गए थे। इस बार तो विभाग ने नाम तय करने में ही बीस दिन का समय लगा दिया। 

मंडी में पहुंचे खाद्य विभाग के अधिकारी-

खरीदी केन्द्रों में भले ही अव्यवस्था हो, लेकिन अफसरों का फोकस मंडी प्रांगण में है। सोमवार को खाद्य विभाग के अधिकारी यहां पहुंचे। किसानों के साथ मंडी प्रबंधन से भी बातचीज की। इस दौरान कहा कि यहां पर जिस किसान की उपज खरीदी जाती है। उसकी जानकारी भी रखी जाए, ताकि खरीदी केन्द्रों में वास्तविक किसान पहुंचकर निर्धारित रकबे का ही उपज बेचकर समर्थन मूल्य हासिल कर सके।
 

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