ग्रामीण बच्चे हो रहे हाईटेक, 737 ग्रामीण शालाएं हुईं डिजिटल

ग्रामीण बच्चे हो रहे हाईटेक, 737 ग्रामीण शालाएं हुईं डिजिटल

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-23 04:40 GMT
ग्रामीण बच्चे हो रहे हाईटेक, 737 ग्रामीण शालाएं हुईं डिजिटल

डिजिटल डेस्क, वर्धा। लंबा समय समाजसेवा में बिताना कोई आसान काम नहीं होता। गरीबों, जरूरतमंद महिलाओं व किसानों को मार्गदर्शन कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा जानकीदेवी बजाज संस्थान ने उठाया और निरंतर उनके यह प्रयास जारी है। पहले मां और अब बेटा इसका संचालन कर रहे हैं। वैसे तो सामाजिक विकास, आर्थिक स्वावलंबन, पर्यावरण सुरक्षा तथा एकात्मिक ग्राम व्यवस्था के लिए कार्यरत जानकीदेवी बजाज संस्थान महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड में 27 वर्षों से कार्यरत है। 

गौरतलब है कि यह संस्था जमनालाल बजाज की पत्नी जानकी बजाज के मार्गदर्शन में शुरू हुई। वे पहले से ही समाजसेवा, जनसेवा में लीन रहा करती थीं। वर्तमान में इसका संचालन राहुल बजाज कर रहे हैं जिनका एक केंद्र वर्धा जिले में भी है। जो वर्ष 2011 से गरीबों, किसानों और  महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी तथा सामाजिक पकड़ मजबूत बनाने का कार्य करता आ रहा है। जानकीदेवी बजाज संस्थान  यानी जेबीजीएस की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने, लोगों को जागरुक करने, प्रशिक्षण देने एवं  ग्रामीण स्कूलों के विकास व शिक्षा से वंचित लोगों को शिक्षित करने तथा पर्यावरण सुरक्षा के उद्देश्य से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और विनोबा भावे के आदर्शों, विचारों पर स्थापित किया गया है। इसमें अलग-अलग कई क्षेत्र विभाजित हैं जैसे-एकात्मिक ग्राम व्यवस्था, अर्थिक विकास, सामाजिक विकास आदि। 

वर्धा में 15 लोगों के साथ मिलकर विनेश काकरे इस संस्था को संचालित कर रहे हैं। जिले में लगभग 90 प्रतिशत स्कूलों को डिजिटलाइज किया गया है तथा किताब, कॉपी, खेल  सामग्री आदि का वितरण भी किया गया है। 737 ग्रामीण स्कूलों में ई-लर्निंग की व्यवस्था इस संस्था ने करवाई है जिसमें एलसीडी प्रोजेक्टर, लैपटॉप, एलईडी टीवी, सॉफ्टवेयर मुहैया करवाए गए हैं। इसके अलावा 80 शालाओं के भवनों निर्माण, शौचालय की व्यवस्था, लाइब्रेरी का निर्माण, स्पीकर की व्यवस्था आदि कार्य किए गए हैं।

समाजसेवा केंद्र में मिलता है प्रशिक्षण

वर्ष 2016 से इस संस्था के अंतर्गत नीलिमा बांगरे की ओर से आर्थिक स्वावलंबन एवं मनोरंजन के लिए समाजसेवा केंद्र का संचालन किया जा रहा है। इसमें महिलाओं को कुशन, रंगोली, वुलन से गर्म कपड़े तैयार करना, मेंहदी का प्रशिक्षण आदि दिया जा रहा है। प्रत्येक माह साड़ी, ड्रेसिंग, पार्लर से संबंधित सेमिनार का आयोजन, समर कैंप, छोटे-छोटे बच्चों के लिए डांस क्लास, किशोरियों में जागरुकता लाना आदि कार्य करवाए जा रहे हैं।


किसानों को सिंचाई का प्रशिक्षण

अर्थिक विकास के लिए एकात्मिक ग्राम व्यवस्था में, अच्छी खेती तथा किसानों की मदद के लिए 22 गांवों को लिया गया है जिसमें किसानों के लिए सिंचाई का उचित प्रबंध करवाना, कृषि संबंधी प्रशिक्षण देना आदि का समावेश है। ग्रामीणों को 20 हजार रुपए तक की मदद करके रोजगार शुरू करवाना जिसमें डेयरी व्यवसाय महत्वपूर्ण है।  डेयरी के लिए संस्था की ओर से एक गाय देकर रख-रखाव व पशु स्वास्थ्य का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। संस्था स्वच्छ दुग्ध व्यवसाय के लिए प्रेरित करती है। किसानों को उन्नत खेती, सफल व्यवसाय का प्रशिक्षण देने का कार्य संस्था करती है। सामाजिक विकास में महिलाओं के लिए बचत समूह तैयार करना, उन्हें शिक्षित करना तथा बच्चों की शिक्षा के लिए उन्हें प्रेरित करना, जागरुकता अभियान चलाना, स्वच्छता, शिक्षा, पर्यावरण सुरक्षा, लड़कियों की शिक्षा के लिए गांव-गांव जाकर दीवारों पर स्लोगन लिखना आदि कार्य संस्था की ओर से किए जाते हैं।

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