अपील करने में 90 दिनों के बजाय लगाए 4 साल, सरकार को SC ने लगाई फटकार

अपील करने में 90 दिनों के बजाय लगाए 4 साल, सरकार को SC ने लगाई फटकार

Anita Peddulwar
Update: 2018-01-13 14:03 GMT
अपील करने में 90 दिनों के बजाय लगाए 4 साल, सरकार को SC ने लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार को एक आपराधिक संवेदनशील मामले में अपील (एसएलपी) दायर करने में की गई देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट से जमकर फटकार मिली। किसी भी मामले में उच्च न्यायपालिका में अपील 90 दिनों के भीतर दायर करनी होती है, लेकिन राज्य सरकार ने इसे दायर करने में चार साल से भी अधिक का समय लगा दिया है। इससे राज्य सरकार की घोर लापरवाही उजागर हो ही रही है साथ ही यह सवाल भी पैदा हुआ है कि अपील करने में इतनी देरी के पीछे कोई निहित स्वार्थ तो नही?

कारण पर जताया एेतराज:इस मामले में सोमवार को न्यायाधीश जे चेलमेश्वर और न्यायाधीश संजय कौल की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। पीठ ने देरी होने के आधार पर बरी किए जाने के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका को खारिज दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा देरी के लिए दिए माफीनामे में जो कारण गिनाए उस पर कड़ा ऐतराज जताया और कहा कि कम से कम इसकी भाषा तो ऐसी होनी चाहिए, जो तर्कपूर्ण लगे। इस माफीनामे में कहा गया था कि तीन साल पहले सरकार बदल गई थी और सरकारी वकीलों का नया पैनल बन गया था। इस बदलाव के कारण कुछ फाइलों का पता नही लग सका।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की परिपाटी और याचिका में देरी के लिए जो तर्कहीन कारण दिए है, इससे सरकार का ढूलमूल रवैया साफ दिखाई दे रहा है। बेंच ने राज्य के मुख्य सचिव को इस मामले की निजी तौर पर पड़ताल करने को कहा है और क्यों इस मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिका शीघ्र दायर नही की गई। साथ ही निर्देश दिया कि दो महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि क्यों सरकार ने इतनी असावधानीपूर्वक अपील दायर की गई। इस मामले में सरकार के कदम पर यह कहावत फीट बैठती है कि गए थे नमाज पढने और रोजे गले पड़ गए।
यह है मामला
दरअसल, आईपीसी की धारा 302, 304 बी और 201, 34 के तहत (केस नं. 62/2011) दर्ज मामले में मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 2012 में आरोपी राजेन्द्र कसना चव्हाण को बरी कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार ने 2017 में इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। नियमों के तहत उच्च न्यायपालिका में अपील 90 दिनों में करनी होती है, लेकिन सरकार द्वारा विशेष अनुमति याचिकाअपील दायर करने में एक-दो साल नही बल्कि पूरे 1716 दिन लगा दिए, जो कि चार साल से भी अधिक का समय होता है।  
 


 

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