प्राचार्य सहित स्कूल स्टॉफ छात्राओं के पैर पखार साथ में करते हैं भोजन

प्राचार्य सहित स्कूल स्टॉफ छात्राओं के पैर पखार साथ में करते हैं भोजन

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-02 12:03 GMT
प्राचार्य सहित स्कूल स्टॉफ छात्राओं के पैर पखार साथ में करते हैं भोजन

डिजिटल डेस्क शहडोल । भारतीय हिंदू समाज में कन्याओं को देवी का रूप माना गया है। धार्मिक आयोजनों में कन्याओं को भोजन कराने की परंपरा रही है, खासकर नवरात्रि के दिनों में देवी रूपी कन्याओं की पूजा कर घर-घर में भोज कराया जाता है। इस परंपरा को और जीवंत बनाने का कार्य कोटमा गांव स्थित शासकीय हाई स्कूल में बखूबी किया जा रहा है। आपसी समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में इसे एक मिशाल के रूप में देखा जा रहा है। विद्यालय में नवाचार के तहत संस्था के प्राचार्य सहित समूचा स्टॉफ व उनके परिजन स्कूल में अध्ययनरत कन्याओं के पैर पखारकर भोजन कराते हैं। इसके बाद पूरा विद्यालय साथ में बैठकर भोजन करता है। विद्यालय में यह परंपरा पिछले वर्ष से शुुरु कराई गई। इस शारदीय नवरात्र में बुधवार को यह आयोजन किया गया। प्राचार्य संजय पाण्डेय की अगुवाई में शुरु किए गए इस नवाचार को जीवंत बनाए रखने उनका स्टॉफ व परिजन पूरा सहयोग करते हैं।
इसलिए करते हैं स्कूल में आयोजन 
प्राचार्य संजय पाण्डेय ने बताया कि नवरात्रि पर स्कूल में कन्या भोज आयोजित करने की कई वजह हैं। सबसे बड़ा कारण  स्कूल में नवाचार के तहत आपसी भेदभाव मिटाना है। विद्यार्थी और शिक्षक तथा उनके परिजन आपस में मिलकर सारी चीजें अरेंज करते हैं। इसके बाद साथ में बैठकर भोजन करते हैं, इससे दूरियां मिटती हैं। नवरात्र ऐसा पर्व है जिसमें नौ दिनों में एक दिन सभी लोग घरों में कन्या भोज कराते हैं। इससे स्टाफ को अवकाश लेना पड़ता है, जिससे अध्ययन-अध्यापन प्रभावित होता है। इसलिए नौ दिनों में एक अवकाश का दिन चुना जाता है। जिसमें सभी लोग एक साथ एक ही दिन में कन्या भोज कराते हैं। स्कूल में कन्याएं भी मिल जाती हैं और धार्मिक आस्था का निर्वहन भी हो जाता है।
स्वयं बनाते हैं 400 लोगों का भोजन
हाई स्कूल कोटमा में 370 विद्यार्थी अध्ययनत हैं। जिनके लिए भोजन बनाने का कार्य स्कूल के स्टॉफ व उनके परिजनों द्वारा ही किया जाता है। आयोजन की तैयारियां कई दिनों से पहले से चलती हैं। पूरी सामग्री आपस में सहयोग कर जुटाई जाती है। तय दिन को स्कूल के स्टाफ के परिजन पहुंचते हैं। छात्र-छात्राओं के सहयोग से भोजन बनाया जाता है। इसके बाद कक्षा 1 से 5 वीं तक की छात्राओं को बैठाकर चरण धोए जाते हैं, तथा भोजन कराया जाता है। इसके बाद अन्य विद्यार्थी भोजन करते हैं।
 

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