शिवसेना की ‘10 रुपए की थाली’ और कांग्रेस-राकांपा के ‘बेरोजगारी भत्ता’ पर संकट, लोकलुभावनी योजनाओं से किनारा         

शिवसेना की ‘10 रुपए की थाली’ और कांग्रेस-राकांपा के ‘बेरोजगारी भत्ता’ पर संकट, लोकलुभावनी योजनाओं से किनारा         

Tejinder Singh
Update: 2019-11-18 16:13 GMT
शिवसेना की ‘10 रुपए की थाली’ और कांग्रेस-राकांपा के ‘बेरोजगारी भत्ता’ पर संकट, लोकलुभावनी योजनाओं से किनारा         

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरी शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा आघाडी ने विधानसभा चुनाव के लिए लोकलुभावने वादे किए थे लेकिन अब तीनों दलों के ‘बेमेल’ गठबंधन के बाद ये पार्टियां अपने घोषणा पत्रों के लोकलुभावने वादों को किनारा करने को तैयार हो गई हैं। भाजपा के साथ शिवसेना का गठबंधन टूटने के बाद अब शिवसेना-कांग्रेस व राकांपा मिलकर सरकार बनाने की जुगत में हैं। इसके लिए अलग-अलग विचारधारा वाले दलों की सरकार चलाने के लिए न्यूनतम साक्षा कार्य़क्रम तैयार करने का फैसला किया गया है। इसको लेकर पिछले दिनों शिवसेना-कांग्रेस व राकांपा नेताओं की बैठक भी हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार शिवसेना के ‘10 रुपए में पेटभर भोजन’ वाले वादे और कांग्रेस-राकांपा के ‘बेरोजगारों को प्रति माह 5 हजार रुपए के बेरोजगारी भत्ता’ वाली योजना को फिलहाल न्यूनतम साक्षा कार्यक्रम से बाहर करने का फैसला लिया गया है। 

भाजपा के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव में उतरी शिवसेना ने अपना अलग चुनाव घोषणा पत्र जारी किया था। जिसमें कई लोकलुभावने वादों के साथ 10 रुपए में पेटभर भोजन देने का वादा भी शामिल था। चुनाव के वक्त शिवसेना के इस चुनावी वादे की खुब चर्चा हुई थी। इसी तरह कांग्रेस-राकांपा ने अपने संयुक्त घोषणा पत्र में बेरोजगारों को प्रति माह 5 हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था। दोनों योजनाएं बेहद खर्चीली हैं। फिलहाल तीनों दल किसान, मजदूर व उद्योग जगत के मसलों को न्यूनतम साक्षा कार्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया है। कांग्रेस-राकांपा आघाडी मुस्लिम आरक्षण के समर्थक रहे हैं जबकि शिवसेना इसकी विरोधी। इस लिए इस मसले को भी बगल कर दिया गया है।  

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