SOP से आसान होगी गुमशुदा की तलाश, पुलिस वाले नहीं कर सकेंगे बहानेबाजी

SOP से आसान होगी गुमशुदा की तलाश, पुलिस वाले नहीं कर सकेंगे बहानेबाजी

Anita Peddulwar
Update: 2019-03-27 08:16 GMT
SOP से आसान होगी गुमशुदा की तलाश, पुलिस वाले नहीं कर सकेंगे बहानेबाजी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अब पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को किसी भी गुमशुदा या गायब व्यक्ति की तलाश करने के लिए कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी। उन्हें अपने घर का सदस्य समझकर तलाश करनी होगी। इसके लिए जल्द ही राज्य के तमाम शहरों में एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) पद्धति का उपयोग शुरू किया जाने वाला है। इस आधुनिक पद्धति में किसी भी गुमशुदा की तलाश करने के लिए शामिल किए 72 मुद्दों को ध्यान में रखकर शहर पुलिस उसकी तलाश करेगी। इस पद्धति को संपूर्ण राज्य के थानों में शुरू किए जाने के लिए पुलिस महासंचालक कार्यालय के पास प्रस्ताव भेज दिया गया है। सूत्र बताते हैं कि इस स्क्वॉड में एक पुलिस उपनिरीक्षक, 3 हवलदार और एक सिपाही की जरुरत होगी।

डेटा के आधार पर किया पहले शोध
एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) पद्धति का उपयोग करीब दो वर्ष पहले मुंबई के पालघर और कोंकण रेंज में किया जा चुका है। संतरानगरी के पुलिस उपायुक्त राजतिलक रोशन जब पालघर और कोंकण रेंज के एसपी थे, तब एसओपी की शुरूआत की थी। सक्करदरा थानांतर्गत एक 14 वर्षीय बालक प्रिंस के घर से भागने पर पुलिस उपायुक्त रोशन के आदेश पर इस पद्धति का उपयोग किया गया। इस पद्धति के उपयोग से बालक मिल गया। पालघर क्षेत्र में जब उपायुक्त रोशन ने इसका उपयोग शुरू किया था, तब एक साल के अंदर लापता हुए करीब 450 लोगों का पता चला था, जिसमें बच्चों की संख्या सर्वाधिक थी। उपायुक्त रोशन ने बाकायदा इस तरह के मामलों को रोकने और ट्रेसिंग दर में सुधार करने के तरीकों को समझने के लिए कैप्चर किए गए डेटा के आधार पर एक व्यापक शोध कार्य भी किया है। इस आधुनिक पद्धति को उन्होंने तैयार किया है। इसके बारे में पुलिस महासंचालक कार्यालय से प्रशंसा भी मिल चुकी है।

आखिर, क्या है एसओपी सिस्टम
एसओपी के बारे में एक शब्द में कहा जाए तो यह गुमशुदा लोगों की ही तलाश करने वाला पुलिस विभाग का विशेष स्क्वॉड होगा, जो गुमशुदा लोगों की तलाश में ठीक उसी तरह से कार्य करेगा, जैसे थाने में कोई गंभीर अपराध दर्ज होेने पर पूरा थाना छानबीन करने में जुट जाता है। यह आधुनिक पद्धति है। इसमें एक विशेष फार्म तैयार किया गया है, जिसमें 72 मुद्दे शामिल होंगे। इस फार्म में लापता या गुमशुदा व्यक्ति या बच्चे की संपूर्ण जानकारी के साथ ही व्यवस्थित, संवेदनशील, प्राथमिकता वाले मुद्दे, केंद्रित और वैज्ञानिक जांच के लिए दृष्टिकोण, उसके दोस्तों, रिश्तेदारों से जुड़ी तमाम जानकारी होगी।

थानों में जमा गुमशुदा फाइलों से मिलेगा छुटकारा
एसओपी को शुरू कर दिए जाने पर थानों में गुमशुदा लोगों की बढ़ती फाइलों के बोझ से पुलिस को छुटकारा मिलने लगेगा। इस पद्धति का उपयोग किए जाने से 90 प्रतिशत मामले में सफलता मिलेगी। जब एसओपी शुरू हो जाएगा तो बहानेबाजी भी नहीं चलेगी। पीड़ित को एसओपी में शामिल अधिकारी- कर्मचारी को उसके मामले में जबाबदेही माना जाएगा और उसे जबाब देना ही पड़ेगा कि उसके मामले में जांच कहां तक पहुंची।
- राजतिलक रोशन, पुलिस उपायुक्त, परिमंडल क्रमांक 4 नागपुर शहर

याद आ सकते हैं फिल्मों के दृश्य

गुमशुदा की तस्वीर लेकर पुलिस शहर में पूछते नजर आ सकती है। ठीक उसी तरह से जैसे किसी फिल्म या धारावाहिक की पुलिस लोगों से किसी की तस्वीर दिखाते हुए उसके बारे में पूछताछ करती है। नागपुर में शहर पुलिस किसी भी बस्ती की गली, सड़क या चौराहे पर कभी ऐसी स्थिति में नजर आए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है।

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