पीले सोने पर संकट : चारकोल रॉट नामक बीमारी से खराब हो रही फसल

पीले सोने पर संकट : चारकोल रॉट नामक बीमारी से खराब हो रही फसल

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-08 07:32 GMT
पीले सोने पर संकट : चारकोल रॉट नामक बीमारी से खराब हो रही फसल

डिजिटल डेस्क,शहडोल। शुरूआती बारिश और अनुकूल मौसम को देखते हुए किसानों ने सोयाबीन का रकवा बढ़ाया था, लेकिन अब सोयाबीन की फसल पर चारकोल रॉट नामक बीमारी ने उनकी चिंताएं बढ़ा दी है। यह बीमारी अभी तक सोहागपुर ब्लाक के 17 गांवों की फसल को अपनी चपेट में ले चुकी है। जहां सैकड़ों हेक्टेयर की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी हैं।गौरतलब है कि यह बीमारी सबसे पहले जड़ों में अटैक करती है, जो तनों व पत्तों में सड़न पैदा कर फसल सुखा देती है। चिंताजनक बात यह है कि यह बीमारी तेजी से फैलने वाली है। कृषि विभाग ने प्रभावित गांवों का दौरा कर किसानों को बीमारी से बचाव के उपाय बताए हैं ताकि इसका और ज्यादा फैलाव न हो सके। 

क्यों फैल रही बीमारी ?
इस साल खरीफ की फसलें एक लाख 85 हजार हेक्टेयर में बोई गई हैं। इसमें 12 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल किसानों ने बोई है। शुरुआती दिनों में बरसात अच्छी रही, लेकिन एक महीने से बारिश नहीं के बराबर हुई है। कभी धूप कभी बादल व बरसात के कारण बीमारी को पनपने का मौका मिल रहा है। कृषि विभाग के अनुसार सोयाबीन के अलावा धान, अरहर, उड़द, कोदी, कुटकी आदि की सीजन वाली फसलों पर कीटों का प्रकोप भी हो सकता है। इसके लिए किसानों को सचेत रहना होगा।

क्या करें किसान ?
कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों को बीमारियों व कीट व्याधियों से बचाव के उपाय बताए हैं। सोयाबीन में चारकोल रॉट बीमारी के निराकरण के लिए ट्राइकोडर्मा गोबर की पकी खाद में कचुआ खाद मिलाकर प्रभावित क्षेत्र में फैलाएं। साथ ही सिंचाई की सुविधा होने पर पानी दें ताकि नमी बरकरार रहे। साथ ही कार्बन्डाजिम 50 डब्ल्यूपी या थायोफिनेट मिथाईल घोलकर छिड़काव करें। धान की पत्तियों में धारी पड़ने व सूखने के लक्षण पर कॉपरआक्सीक्लोराड एवं गहरे धब्बे के साथ झुलसने पर ट्रायसायक्लाजोल, कार्बन्डाजिम दवा का छिड़काव करें। इसी प्रकार तना छेदक के लिए कारटपहाइड्रोक्लोराईट या रेनाक्सीपायर का उपयोग फायदेमंद होगा। फल्ली भेदक कीट नियंत्रण के लिए प्रोपेनोफास या क्लोरोपाइरीफास तथा तिल में रस चूसक कीट नियंत्रण के लिए ट्राइजोफास उपयोगी होगा।

कृषि उप संचालक जेएस पेंद्राम का कहना है कि मौसम की प्रतिकूलता ने खरीफ की फसलों पर बीमारी या कीट व्याधि की संभावना बढ़ा दी है। किसान पंजीकृत दुकानों से दवा खरीद सकते हैं, बिल प्रस्तुत करने पर प्रति हेक्टेयर 500 रुपए के मान से अनुदान विभाग देगा।
  
 

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