ESIC की लापरवाही से छात्रा को मेडिकल कोटे में नहीं मिला प्रवेश, 25 लाख का किया दावा   

ESIC की लापरवाही से छात्रा को मेडिकल कोटे में नहीं मिला प्रवेश, 25 लाख का किया दावा   

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-10 07:00 GMT
ESIC की लापरवाही से छात्रा को मेडिकल कोटे में नहीं मिला प्रवेश, 25 लाख का किया दावा   

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  ESIC कोटे से मेडिकल में प्रवेश नहीं मिलने से नाराज छात्रा समीक्षा ढोले ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर कर ESIC पर 25 लाख का दावा किया है। छात्रा ने ESIC पर मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया में हेर-फेर का आरोप भी लगाया है। मामले में  हुई सुनवाई में छात्रा का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी ESIC कार्पोरेशन और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही ESIC कोटे की मेरिट लिस्ट भी कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।

देश में ESIC के कुल 9 चिकित्सा महाविद्यालय हैं। इन कॉलेजों में कुल 337 मैनेजमेंट कोटे की सीटें हैं। जो कर्मचारी ESIC के लाभार्थी हैं, उनके बच्चों को "इनश्योर्ड पर्सन कोटा" के तहत प्रवेश दिया जाता है। छात्रा ने सत्र 2017-18 में भी इस कोटे से प्रवेश की कोशिश की थी, जिसमें उसे सफलता नहीं मिल सकी थी। छात्रा की ओर से एड. तुषार मंडलेकर और एड. राेहन मालवीय ने पक्ष रखा। केंद्र की ओर से एड. मुग्धा चांदुरकर ने पक्ष रखा।

यह है मामला
समीक्षा ढोले ने जब इस श्रेणी से प्रवेश के लिए आवेदन किया, तो ESIC ने दलील दी कि समीक्षा के पिता राजू ढोले के सर्विस पीरियड में गैप थी, लिहाजा वे नियमित रूप से ESIC के इंश्योरेंस कवर के लाभार्थी नहीं माने जा सकते। ऐसे में छात्रा का दावा खारिज हो गया था, लेकिन बाद में हुए सुधार के बाद उसके पिता को लाभार्थी माना गया। तब तक प्रवेश की तिथि निकल चुकी थी। इस वर्ष जब छात्रा ने फिर इस कोटे के तहत प्रवेश पाना चाहा, तो नई परेशानी उसके सामने खड़ी हो गई।

याचिकाकर्ता के अनुसार  नवरी में प्रकाशित एडमिशन नोटिस में  ESIC के इस कोटे में 354 सीटें थीं, मगर जून में जारी एडमिशन नोटिस में 9 सीटें घटा कर सीटों की संख्या 346 तक सीमित कर दी गईं। नियमों के अनुसार ESIC को बाकायदा श्रेणी अनुसार मेरिट लिस्ट जारी करके अपने कोटे की सीटों पर प्रवेश दिए जाने चाहिए थे। जून में पूरे किए गए पहले प्रवेश राउंड में मेरिट सूची तक प्रकाशित नहीं हुई।  छात्रा का दावा है कि ESIC द्वारा  इस प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। हाईकोर्ट को इसमें उचित आदेश जारी करना चाहिए। छात्रा के अनुसार ESIC के इस रवैये से उसका एक वर्ष बर्बाद हो गया है। ऐसे में उसे 25 लाख रुपए का मुआवजा मिलना चाहिए।

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