बच्चे स्कूल खोलकर करतें हैं सफाई, 11 बजे आते हैं टीचर
बच्चे स्कूल खोलकर करतें हैं सफाई, 11 बजे आते हैं टीचर
डिजिटल डेस्क शहडोल । जिले के ज्यादातर शासकीय स्कूलों के खुलने का समय एक घंटा बढ़ गया है। ऐसा किसी शासकीय दिशा निर्देशों के तहत नहीं और न ही ठण्ड की वजह है। बल्कि यहां पदस्थ शिक्षकों की लेटलतीफी के चलते हो रहा है। प्राथमिक, माध्यमिक व हाई-हायर सेंकण्डरी स्कूलों के खुलने का समय सुबह 10 बजे निर्धारित है। यह टायमिंग बकायदे स्कूलों में मोटे-मोटे अक्षरों में लिया भी गया है। लेकिन इसका पालन कुछ को छोड़कर अधिकांश में नहीं होता। बच्चे तो सुबह 10 से 10.15 बजे तक स्कूल पहुंच जाते हैं। स्कूल के कमरों का ताला स्वंय खोलते हैं। और मास्साब की उपस्थिति सुबह 11 बजे के पहले नहीं होती। शुक्रवार को ऐसे हालात बुढ़ार विकासखण्ड के ग्राम सिधली व गांव के मयाली टोला में देखने को मिली। जिले में माध्यमिक व प्राथिमक स्तर के 2124 स्कूलें संचालित हैं। जिनमें 80 फीसदी से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति कोई एक दो दिन नहीं बल्कि हर एक दिन सामने आती है। दूरांचल के स्कूलों के अलावा मेन रोड से लगे विद्यालयों का यही हाल है।
करते हैं साफ-सफाई
स्वयं ही स्कूल खोलने के बाद स्कूली बच्चे पहले झाड़ू लगाकर परिसर की सफाई करते हैं। कमरों की सफाई के बाद कुछ कमरों में बैठ जाते हैं, जबकि कई बच्चे बाहर खेलने में जुट जाते हैं। इसके बाद शिक्षक स्कूल आते हैं। तब तक सुबह के 11 या 11.15 जाते हैं। मौजूदा समय पर ठण्ड के कारण बाहर क्लास लगाई और 4 बजे तक छुट्टी हो जाती है। जबकि स्कूल संचालकन का समय शाम 5 बजे तक का है।
रहते हैं शहडोल में
समय पर स्कूल नहीं पहुंचने का सबसे बड़ा कारण शिक्षकों का मुख्यालय में नहीं रहता है। मुख्यालय से लगे यहां तक 20 से 35 किलोमीटर दूर के शासकीय स्कूलों में अधिकतर शिक्षक शहडोल या फिर बुढ़ार सहित शहर में निवासरत हैं। स्कूल खुलने के बाद उनका पहुंचना होता है। तीन चार घंटे पढ़ाने के बाद समय से एक डेढ़ घंटा पहले बंद कराकर चलते बनते हैं। ऐसे में स्कूलों का पठन-पाठन प्रभावित होता है। आधे से अधिक स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरने की वजह लेटलतीफी भी है। संबंधित अधिकारियों की मानीटरिंग भी दिखावा साबित होती है।
इनका कहना है
समय पर विद्यालय संचालन के निर्देश हैं। शिक्षकों द्वारा लापरवाही होती है तो सतत मानीटरिंग कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. मदन त्रिपाठी, डीपी