शिक्षिका ने पेश की सेवा-समर्पण की मिसाल - बदल दी स्कूल की तस्वीर 

शिक्षिका ने पेश की सेवा-समर्पण की मिसाल - बदल दी स्कूल की तस्वीर 

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-20 09:48 GMT
शिक्षिका ने पेश की सेवा-समर्पण की मिसाल - बदल दी स्कूल की तस्वीर 

खुद के खर्च से पेड़ों तले बनवाये व्यवस्थित चबूतरे, मध्यान्ह भोजन के लिए पक्के आंगन का निर्माण
डिजिटल डेस्क  नरसिंहपुर ।
एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला सुपला (धमना) में सहायक शिक्षक  व प्रभारी प्रधान पाठक के रूप में पदस्थ श्रीमती सीमा शर्मा के अनुकरणीय कार्यों व सेवा-समर्पण की हर ओर चर्चा हो रही है। उनके द्वारा किए जा रहे सकारात्मक प्रयासों से गदगद ग्रामीणजन गणतंत्र दिवस पर उनका नागरिक अभिनंदन करने जा रहे हैं। वर्ष 2009-10 को सुपला में पदस्थ हुईं प्रताप नगर नरसिंहपुर निवासी 49 वर्षीय श्रीमती शर्मा ने न सिर्फ स्कूल भवन के कायाकल्प के प्रयासों को अंजाम तक पहुंचाया बल्कि विद्यार्थियों के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए भी अनेक प्रयास किये। सामान्य आर्थिक पृष्ठभूमि की होने के बावजूद वे इन कार्यों में अपनी व्यक्तिगत निधि से अब तक लाखों खर्च कर चुकी हैं। 
फर्श उखड़ा तो लगवा दिए पेबर ब्लाक
शिक्षिका द्वारा पीएचई विभाग की अनुमति से शाला के हैंडपंप में सबमर्सिबल पम्प लगवाया गया है, जिससे विद्यार्थियों को जहां आसानी से पेयजल उपलब्ध हो जाता है। वहीं शाला के पीछे स्थित बगिया में लगे पेड़-पौधों की सिंचाई भी होती है। शाला के एक कक्ष का फर्श जो बुरी तरह जीर्ण-शीर्ण हो चुका था उसका शिक्षिका द्वारा पुर्ननिर्माण कराकर उसमें पेबर ब्लाक तक लगवाये गये, ताकि विद्यार्थियों को यहां बैठकर अध्ययन करने में कोई परेशानी न हो। इसके अलावा शाला में स्वच्छता को लेकर भी विशेष कार्य व विद्यार्थियों में सतत जागरूकता फैलायी जाती है। 
मध्यान्ह भोजन के लिए पक्के आंगन का निर्माण
करीब एक साल पहले अपने इकलौते बेटे अंशुमान के निधन से टूट चुकीं श्रीमती शर्मा ने किसी तरह खुद को संभाला और स्कूल के बच्चों को खुद का बच्चा मानकर और भी अधिक समर्पण के साथ अपने परोपकारी कार्यों को जारी रखा। श्रीमती शर्मा का कहना है कि बेटे के जाने के बाद उन्हे लगा कि अब बच्चों के लिए कुछ ज्यादा करना है। उनके द्वारा शाला प्रांगण में लगे पेड़-पौधों के नीचे सीमेंट के व्यवस्थित चबूतरों का निर्माण कराया गया है, ताकि भोजनावकाश में बच्चे व शिक्षक वृक्षों की छांव के नीचे आराम से बैठ सकें। वहीं बच्चों के मध्यान्ह भोजन के लिए पक्के आंगन का निर्माण भी इन्होंने स्वयं की निधि से कराया है। 
पंचायत भवन में कराई बैठक व्यवस्था 
गांव के वृद्धजनों, अशक्तों व बच्चों की सुविधा का ध्यान रखते हुए खुद की राशि खर्च कर शाला प्रांगण सहित पंचायत भवन व मंदिर में सीमेंट सीट से बनी हुई बड़ी-बड़ी कुर्सियां रखवाईं, ताकि यहां आने वाले लोगों को बैठने के लिए व्यवस्थित स्थान मिल सके। गांव के मंदिर को भी मैडम द्वारा एक म्यूजिक सिस्टम प्रदान किया गया है। 
कॉपी-किताब सहित बच्चों को दिलाती हैं वस्त्र
शिक्षिका का विद्यार्थियों से लगाव व चिंता इससे जाहिर होती है कि वे स्वयं के खर्च से बच्चों को कोचिंग करवाने एक अन्य शिक्षक के पास भेजती हैं। जिससे विद्यार्थियों के स्तर में सुधार आता जा रहा है। इसके अलावा जरूरतमंद बच्चों को कॉपी-किताब, पेन सहित ठंड में गर्म कपड़े भी उपलब्ध कराती हैं। उन्होंने भास्कर से बात करते हुए बताया कि ये सभी सेवाभावी कार्य वे अपने पिता स्व. सतीशचंद्र पाण्डेय की प्रेरणा व आशीर्वाद से कर रही हैं। जो सतत जारी रहेंगे। इन कार्यों के पीछे न किसी प्रचार-प्रसार की अभिलाषा है और न ही किसी सम्मान की।
 

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