नौकरी करने वाली पत्नी ने लिया गुजारा भत्ता, कोर्ट ने लगाई फटकार

नौकरी करने वाली पत्नी ने लिया गुजारा भत्ता, कोर्ट ने लगाई फटकार

Anita Peddulwar
Update: 2020-02-24 05:31 GMT
नौकरी करने वाली पत्नी ने लिया गुजारा भत्ता, कोर्ट ने लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर । तलाक प्रकरण में पति से गुजारा भत्ता पाने के लिए कोर्ट में झूठी शपथ खाने वाली महिला के पक्ष में फैसला देने वाले अकोला पारिवारिक न्यायालय को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कड़े शब्दों में निचली अदालत के इस फैसले पर असहमति जताई और महिला पर कार्रवाई के आदेश जारी किए है। साथ ही निचली अदालत को फटकार लगाते हुए महिला पर जरूरी कार्रवाई करके उसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट प्रबंधन को भेजने को कहा है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि "न्याय प्रक्रिया को प्रदूषित करने वालों से सख्ती से निपटना चाहिए"। 

यह था मामला 
औरंगाबाद के निवासी राजेश और अकोला निवासी अल्का का विवाह हुआ, मगर दोनों के संबंध ज्यादा दिन मधुर नहीं रह सके। आपस में बढ़ते विवादों को देख दोनों ने अलग होने का फैसला लिया और अकोला पारिवारिक न्यायालय में दोनों के तलाक का मामला पहुंचा। न्यायालय ने दोनों का तलाक मंजूर किया और नियमानुसार राजेश को प्रतिमाह 2500 रुपए अल्का को बतौर गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए। राकेश के अनुसार उसने तीन माह तक अल्का काे रुपए दिए। मगर फिर बाद में उसे पता चला कि उसकी पूर्व पत्नी स्थानीय बैंक में नौकरी कर रही है। तलाक का मामला विचाराधीन रहते उसने यह तथ्य कोर्ट से छिपाया। नियमानुसार यदि महिला नौकरी करके आर्थिक तौर पर स्वतंत्र हो तो पति को उसे गुजारा भत्ता नहीं देना होता। इस आधार पर राजेश ने एक बार फिर पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दायर कर गुजारा भत्ता संबंधी आदेश में परिवर्तन की विनती की। लेकिन पारिवारिक न्यायालय ने विविध मामलों पर गौर किया और अंतत: राजेश की अर्जी खारिज कर दी। जिसके बाद राजेश ने हाईकोर्ट की शरण ली। 

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नौकरी करती है यह बात छिपाई
दरअसल बैंक में कार्यरत महिला ने तलाक प्रकरण में सुनवाई के दौरान नौकरी की बात छिपाई। पारिवारिक न्यायालय ने पति को आदेश दिया कि वे अपनी पत्नी को 2500 रुपए प्रति माह गुजारा भत्ता दे। तीन महीने बाद पति को इसका पता चला तो उसने अर्जी लगा कर पारिवारिक न्यायालय के ध्यान में यह बात लाई, मगर उसकी अर्जी खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट ने इस पर आपत्ति लेते हुए कहा कि पति द्वारा इतने महत्वपूर्ण मसले पर ध्यान दिलाने के बावजूद निचली अदालत ने इसे नजरअंदाज कर दिया। लेकिन हाईकोर्ट ऐसी गलती नहीं करेगा। हाईकोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता बंद करने के आदेश दिए हैं। 
 

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