प्यास से तड़प कर मर गए 37 मवेशी, छलावा साबित हुई मुख्यमंत्री की घोषणा

प्यास से तड़प कर मर गए 37 मवेशी, छलावा साबित हुई मुख्यमंत्री की घोषणा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-06 11:39 GMT
प्यास से तड़प कर मर गए 37 मवेशी, छलावा साबित हुई मुख्यमंत्री की घोषणा

डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा/तामिया। पातालकोट में जलसंकट इतना भी गंभीर रूप लेगा किसी ने सोचा नही था। यहां बीते एक माह में 37 मवेशियों की मौत सिर्फ पानी की कमी से हो गई है। 60 परिवार और लगभग 400 की आबादी वाले पातालकोट के रातेड़ में ग्रामीणों को भी ढंग से पानी नही नसीब हो रहा है। पहाड़ी झरनों और दूर खाई में बहने वाली नदी नालों से यहां के भारिया पानी लाने मजबूर है। दिन में दो बार ग्रामीण 5 किमी दूर से पानी लाकर मवेशियों को पिला रहे है। मवेशियों में इतनी ताकत भी नही बची की उन्हें नदी तक ले जाया जा सके।

अभी हाल ही में प्रदेश के मुखिया ने करोड़ों खर्च कर यहां इन्ही के समाज का सम्मेलन किया और कहा था कि मैं भारियाओं का दुख दूर करने आया हूं अब यहां के भारिया उनसे पूछ रहे हैं कि मुख्यमंत्री जी आपने हमारे लिए क्या किया। यहां सरकारी तंत्र सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है।

इन ग्रामीणों के मवेशी मरे
रातेड़ निवासी सुकनसी 4 बछिया 1 बछड़ा, गुरालाल 2 बछिया 1 बैल, सुकमन 2 बछिया,2 गाय,6 बछड़ा, बोरालाल 1 बैल, महताबसी 1 गाय, कोदुलाल 1 गाय, 2 बछड़ा, सुक्तिबाई 2 गाय, झामसिंग 2 बछड़ा, कमलसा 1 बछिया, मोहलिया 1 गाय, भागवत 1 गाय, छन्नू 2 बैल, 1 गाय, 1 बछिया, दिनेश 2 बैल 1 गाय , ये 37 मवेशी बीते एक माह में तड़प तड़प कर मर गए।

खानापूर्ति कर रहा प्रशासन
रातेड़ में जल संकट की खबरें प्रकाशित कर भास्कर ने गर्मी के पहले ही प्रशासन को चेताया था, बावजूद इसके कोई ध्यान नही दिया गया। PHE ने पातालकोट  के ऊपर बीजाढाना से रातेड़ तक 10 दिन पहले ओपन पाइप लाइन डालकर नीचे रातेड़ में एक पानी टंकी तो रखवा दी पर आज तक पानी नही पहुंचा। हद तो ये है कि जब अधिकारियों से पूछा गया तो उन्हें ये भी नही मालूम कि ये व्यवस्था कौन देख रहा है। वहीं एक NGO ने भी एक पहाड़ी झरने से पाइप लाइन बिछाकर गांव तक पानी लाने की व्यवस्था की लेकिन जब झरना ही दम तोड़ चुका तो पानी कैसे पहुंचे।

मृत मवेशियों से बीमारी का खतरा
ग्रामीण अपने मृत मवेशी को गांव के पास ही फेंक रहे हैं। कुछ मवेशी तो घर के पास ही पड़े हैं, जिनसे अब बदबू आने लगी है। जिससे ग्रामीणों में गंभीर बीमारी फैल सकती है।

इनका कहना है
पानी की कमी से मवेशी कमजोर हो गए है, एक बार बैठ गए तो उठ नही पा रहे हैं। पानी भी गर्म होने से नही पी रहे है और दम तोड़ देते है।
गूरालाल भारती,ग्राम पटेल रातेड़

मवेशी इतनी ज्यादा संख्या में मर रहे हैं कि उन्हें दूर ले जाना भी संभव नही है, यहां इंसानों को पानी मुश्किल से मिल रहा है।
सुकनसी भारती, ग्रामीण रातेड़

बीजाढाना से पेयजल की व्यवस्था की गई थी, पानी क्यों नही पहुंचा में दिखवाता हूं।
बीएल उइके, SDO,  PHE

 

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