यहां रहता है भगवान गणेश का सच्चा 'आशिक', पढ़ें मुस्लिम बालक का अद्भुत प्रेम

यहां रहता है भगवान गणेश का सच्चा 'आशिक', पढ़ें मुस्लिम बालक का अद्भुत प्रेम

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-02 12:19 GMT
यहां रहता है भगवान गणेश का सच्चा 'आशिक', पढ़ें मुस्लिम बालक का अद्भुत प्रेम

डिजिटल डेस्क, वर्धा। बड़े बुजुर्गों ने सच ही कहा है कि बच्चे ईश्वर के सच्चे और वास्तविक स्वरुप होते हैं। वर्धा शहर में रहने वाला 13 वर्षीय मासूम मुस्लिम बालक इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है। यह बालक जन्म से तो मुस्लिम है, किंतु विगत पांच वर्ष से अपने घर पर गणेशोत्सव के दौरान भगवान गणेश की स्थापना कर 10 दिन तक पूजन-पाठ व विसर्जन की विधि पूरे भक्तिभाव से कर रहा है।

मौजूदा दौर में जहां एक ओर देश में जाति, धर्म व मजहब के नाम पर हद दर्जे की कट्टरता हावी होती दिख रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह के दृश्य या खबरें रेगिस्तान में शीतल हवा के झोंके की तरह महसूस होती है। वर्धा शहर के पुलफैल परिसर निवासी नन्हें बालक आशिक खान वल्द मकसूद खान पठान अपने घर में विगत 5 वर्षों से विघ्नहर्ता श्रीगणेश की स्थापना कर सर्वधर्म समभाव का संदेश दे रहा है। पुलफैल निवासी मकसूद के पुत्र आशिक ने 8 वर्ष की आयु में ही श्रीगणेश की स्थापना करने की इच्छा पिता से व्यक्त की थी।

उन्होंने पुत्र की इच्छा को ध्यान में रखकर जाति धर्म में भेदभाव दूर रखकर उसे प्रोत्साहित किया। प्रथम वर्ष आशिक ने स्वयं अपने हाथों से मिट्टी की गणेश प्रतिमा तैयार की और बड़े ही प्यार व भक्तिभाव से घर में स्थापित किया। तभी से लेकर अब तक इस परिवार में श्रीगणेशजी की विधिवत पूजा-अर्चना  के साथ स्थापना की जा रही है। 10 दिनों तक प्रतिदिन आशिक पूरे भक्तिभाव से श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करता है। उनके मकान में एक ओर दरगाह है व दूसरी ओर श्रीगणेशजी की स्थापित की गई मूर्ति है।

अगर वह चाहेगा तो ताउम्र विराजेंगे श्री गणेश
आशिक खान मकसूद खान पठान शहर के शासकीय अभ्यास स्कूल में मराठी माध्यम से कक्षा 7 वीं में पढ़ रहा है, पिता मकसूद खान पठान का परिसर में ही छोटा सा व्यवसाय है जिसके भरोसे परिवार का गुजर-बसर चलता है। मकसूद ने कहा कि जिस उम्र में आशिक ने गणपति बिठाने की बात कही, तब उन्हें लगा कि मानो कोई फरिश्ता उनसे कोई फरमाइश कर रहा हो और वे उसे टाल नहीं सके। मकसूद भाई के मुताबिक हम ईश्वर कहें या अल्लाह, बात तो एक ही है। खुदा सभी का है और हर जगह है। अपने बेटे की बात को टालकर वे अपने खुदा को नाराज नहीं करना चाहते थे।

हर एक को जवाब देने तैयार हूं
मकसूद खान ने बताया कि उन्हें शुरुआती दौर में सजातीय और धर्मगुरुओं के विरोध का सामना करना पड़ा, किंतु उन्होंने हर-एक को अपने हिसाब और लिहाज से जवाब दिया। आज भी अगर कोई उनसे इस बात पर चर्चा करना चाहता है, तो वे  हर बात का जवाब देने तैयार हैं। मकसूद ने कहा कि यदि बप्पा और उसके आशिक की इच्छा रही, तो ये सिलसिला ताउम्र चलता रहेगा।  इस कार्य में मैं कभी अड़ंगा नहीं डालूंगा। अगर आशिक की जीवन भर श्रीगणेश प्रतिमा को स्थापना करने की इच्छा रहेगी तो आगे भी पूरा परिवार इसका पूरा समर्थन करेंगे। बातचीत के दौरान मकसूद भाई ने कई बार दोहराया कि भगवान सभी के लिए एक है।  हम उन्हें अपने-अपने हिसाब से बांट रहे हैं। उनके मुताबिक हिंदू या मुसलमान होने से पहले सभी को एक अच्छा इंसान बनना जरूरी है।

हाथ जोड़कर कहा "नमस्कार अंकल"
पुलफैल निवासी पठान परिवार के घर जब भास्कर की टीम पहुंची तो नन्हे आशिक खान ने बकायदा दोनों हाथ जोड़कर कहा "नमस्कार अंकल"। इससे उसकी विनम्रता का कोई भी कायल हो सकता है। नन्हें बालक ने बताया कि उसे गणेशोत्सव मनाना अच्छा लगता है और बचपन से ही श्री गणेश की प्रतिमा उसे आकर्षित करती रही है। परिवार से मिले साथ से बेहद अभिभूत और उत्साहित आशिक खान को इस बात का मलाल जरूर है कि चूंकि वह गणेश प्रतिमा स्थापित करता है, इसलिए कुछ लोग उसे कुछ अजीब तरह से देखते और छींटाकशीं करते हैं। ऐसा वे क्यों करते हैं, यह उसकी समझ से परे है। साथ ही वह जब अपने अब्बू से इस बारे में पूछता है तो उसके अब्बू उसे ऐसी बातों पर ध्यान ना देने की सलाह देते हैं।

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