रोज लाइन में लग रहे एक हजार पेंशनर, जिंदा रहने का देना पड़ रहा सबूत

रोज लाइन में लग रहे एक हजार पेंशनर, जिंदा रहने का देना पड़ रहा सबूत

Anita Peddulwar
Update: 2019-11-19 07:59 GMT
रोज लाइन में लग रहे एक हजार पेंशनर, जिंदा रहने का देना पड़ रहा सबूत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पेंशनरों को पेंशन के लिए बैंकों में हर साल ‘मैं जिंदा हूं’ का प्रमाणपत्र देना पड़ता है। ईपीएफओ इसके लिए बैंकों को तय शुल्क देता है। बावजूद इसके पिछले तीन साल से बैंकों की तरफ से डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (डीएलसी) नहीं दिया जा रहा है। हताश होकर पेंशनर दूर-दूर से ईपीएफओ कार्यालय पहुंच कर बता रहे हैं कि ‘मैं जिंदा हूं’ मेरा प्रमाणपत्र बना दो। ऐसे में बैंक का काम ईपीएफओ को करना पड़ रहा है। ईपीएफओ के क्षेत्रीय कमिश्नर ने दो बार बैंकों को पत्र लिखकर दोनों के बीच हुए एग्रीमेंट की याद दिलाई, लेकिन बैंक पत्रों को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं। 

50 हजार से ज्यादा पेंशनर
ईपीएफओ नागपुर विभाग में 14 लाख 70 हजार कर्मचारियों के नाम दर्ज हैं। 50 हजार से ज्यादा पेंशनर हैं, जिन्हें विविध बैंकों के माध्यम से ईपीएफओ पेंशन दे रहा है। पेंशनर की मौत के बाद पेंशन उसके आश्रित को मिलती है ओर दोनों की मौत होने पर पेंशन बंद हो जाती है। पेंशन गलत हाथों में न जाए, इसलिए सरकार ने साल में एक बार पेंशनर का डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट लेने के निर्देश दिए हैं। ईपीएफओ ने इसके लिए बैंकों के साथ एग्रीमेंट किया है ओर जितने डीएलसी बनते हैं, उतना शुल्क बैंकों को ईपीएफआे की तरफ से दिया जाता है। बैंक शुल्क तो ले रहे हैं, लेकिन पिछले तीन साल से पेंशनरों का डीएलसी नहीं कर रहे हैं। 

खाली हाथ भी लौटना पड़ता है
बैंकों से प्रमाणपत्र नहीं मिलने पर कर्मचारी चंद्रपुर, गड़चिरोली, वर्धा, गोंदिया, भंडारा से ईपीएफआे नागपुर कार्यालय आते हैं। यहां हर दिन एक हजार टोकन बांटे जा रहे हैं। शाम 6 बजे तक ईपीएफओ पेंशनरों के डीएलसी बनाता है। 5 कम्प्यूटर आपरेटर इनके प्रमाणपत्र बनाने में लगे हैं। टोकन नहीं मिलने से चंद्रपुर व अन्य जगहों से आए पेंशनरों को बैरंग भी लौटना पड़ रहा है। ईपीएफओ नागपुर के क्षेत्रीय आयुक्त विकास कुमार ने एसबीआई, पीएनबी, महाराष्ट्र बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी, बैंक ऑफ इंडिया व आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक को दो पत्र लिखकर पेंशनरों का डीएलसी करने को कहा। एग्रीमेंट होने की भी याद दिलाई, लेकिन  बैंकों ने इस आेर ध्यान नहीं दिया। अब पेंशनर सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक ईपीएफआे कार्यालय पहुंचकर ‘मैं जिंदा हूं’ का प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए मजबूर हैं।

पीड़ितों का दर्द 
चंद्रपुर जिले के सिंदेवाही के प्रभाकर सम्मनवार, नागपुर जिले के सावनेर के दशरथ दुरुगवार, नागपुर के सदाशिव खापेकर ने बताया कि बैंक में जाने पर भगा दिया गया। ईपीएफओ से डीएलसी कराने को कहा गया। यहां सुबह आने पर शाम को प्रमाणपत्र मिलता है। केंद्र व राज्य सरकार का डीएलसी जिस तरह बैंक में होता है, उस तरह हमारा भी होना चाहिए। सबसे ज्यादा परेशानी बाहर गांव से आनेवालों को हो रही है। 

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