‘चौथी आवाज’ के जरिए मुंबईकरों तक पहुंची गन्ना किसानों की पीड़ा, हुआ नाटक का मंचन

‘चौथी आवाज’ के जरिए मुंबईकरों तक पहुंची गन्ना किसानों की पीड़ा, हुआ नाटक का मंचन

Tejinder Singh
Update: 2019-02-10 14:03 GMT
‘चौथी आवाज’ के जरिए मुंबईकरों तक पहुंची गन्ना किसानों की पीड़ा, हुआ नाटक का मंचन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। गन्ना किसान चीनी लॉबी और राजनेताओं की मिलीभगत के चलते किस मुश्किल से गुजरते हैं और कैसे एक पत्रकार की मदद से अपने अधिकार के लिए लड़ते हैं इसी कथानक पर आधारित है नाटक चौथी आवाज। नाटक के जरिए किसानों के हक में आवाज उठाने वाले ईमानदार पत्रकार के सामने खड़ी होने वाली चुनौतियों को भी रेखांकित किया गया है। लखनऊ के रॉक स्टार सेवेंथ क्रिएशन सोसायटी ने विलेपार्ले पूर्व में स्थित साठे कॉलेज के सभागार में इस नाटक का मंचन किया। कथानक शुरू होता है एक छोटी सी खबर से जिसमें एक पत्रकार गन्ना किसानों की पीड़ा सामने रखता है। गन्ना किसान बकाए के चलते परेशान और आत्महत्या के लिए मजबूर हैं। गन्ना किसान समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग करते हैं लेकिन सशक्त चीनी लॉबी मुख्यमंत्री और गन्ना मंत्री के साथ मिलकर डील करती है। पत्रकार इस डील का स्टिंग करता है और खबर छपती है। चीनी लॉबी के दबाव में पत्रकार की नौकरी चली जाती है फिर भी वह हार नहीं मानता और सोशल मीडिया के जरिए किसानों के हक की लड़ाई लड़ते हुए जीत हासिल करता है। यह नाटक और इसके संवाद पवन सिंह ने लिखे हैं जबकि नवीन श्रीवास्तव निर्देशक हैं। पत्रकार विनोद त्यागी की भूमिका साकार की है अभिनेता सुमित श्रीवास्तव ने। सच्चे यादव की भूमिका में आशुतोष जायसवाल, संपादक-राज शुक्ला, समाचार संपादक-अजय द्विवेदी, रश्मि- कशिश अग्निहोत्री, मुख्यमंत्री-शुभम सिंह चौहान, गन्ना मंत्री-अनुपम बिसारिया, गोपाल खन्ना-अभिषेक यादव, क्रासिंग वाल-अनुपम मिश्र, राखी- अमृता पाल ने मुख्य भूमिका निभाई। संगीत- राहुल शर्मा, प्रकाश-तमाल बोस, मुख सज्जा- दिनेश अवस्थी, प्रस्तुति नियंत्रक- अनुपम बिसारिया रहे हैं।

संतरा उत्पादक किसानों पर पड़ रही दोहरी मार

उधर नागपुर-अमरावती जिले में काटोल- नरखेड़, वरूड़ -मोर्शी  चार तहसील उत्तम संतरा उत्पादन के लिए पहचानी जाती है। लेकिन विगत तीन साल से यहां के संतरा उत्पादक किसान तथा संतरा व्यापारी प्राकृतिक आपदा से त्रस्त है। इस वर्ष काटोल-नरखेड़ तहसील को अकालग्रस्त तहसील घोषित किया गया है।  साथ ही किसानों की मदद के लिए  प्राकृतिक विशेष आपत्ति सहायता राशि फसलों के आधार पर वितरित की जानी है। लेकिन काटोल-नरखेड़ तहसील के कुल 25 हजार हेक्टेयर के  संतरा-मोसंबी किसानों को नुकसान का मुआवजा नहीं मिल पाया। साथ ही इस वर्ष अब तक ठंड की मार पड़ रही है। वहीं उत्तर भारत में कडाके  ठंड के कारण संतरे को उचित दाम नहीं मिलने से व्यापारी भी परेशान है। इस वर्ष उम्मीद अनुसार अल्प बारिश  से संतरे की फसल कम  और संतरे की गुणवत्ता भी नहीं बन  पाई। फलस्वरूप काटोल -कोंढाली क्षेत्र के संतरा उत्पादक किसान तथा व्यापारी दोहरी मार झेल रहे है। स्थानीय संतरा उत्पादक किसान महेंद्र ठवले, प्रकाश बारंगे, दिलीप जाऊलकर, सुरेंद्रसिंह व्यास, भास्कर पराड, याकुब पठान, रमेश वंजारी, सतीश चव्हाण, राष्ट्रपाल पाटील, संजय राऊत, अरूण खोड़णकर आदि ने संतरा उत्पादक किसानों को भी प्राकृतिक आपदा राशि का मुआवजा जल्द ही देने की मांग की है। निधि वितरण में सौतेला व्यवहार का आरोप भी लगाया गया। इस विषय पर  जिला कृषि अधीक्षक से जानकारी  के लिए संपर्क करने पर उनसे संपर्क नहीं हो सका।   काटोल-नरखेड़ कृषि उप विभागीय अधिकारी विजय निमजे ने बताया कि शासन के नियोजन के तहत अकाल क्षेत्र के किसानों को सहायता दी जानी है। हालांकि इसके तहत संतरा-मोसंबी का समावेश है या नहीं? स्पष्ट नहीं है। 
 

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