बाघ का खौफ - स्कूल नहीं आ रहे बच्चे, दिन में भी सडक़ पर सन्नाटा

 बाघ का खौफ - स्कूल नहीं आ रहे बच्चे, दिन में भी सडक़ पर सन्नाटा

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-07 12:57 GMT
 बाघ का खौफ - स्कूल नहीं आ रहे बच्चे, दिन में भी सडक़ पर सन्नाटा

डिजिटल डेस्क कटनी । सुरखी पोड़ी डेम के पास तीन दिनों से बाघ की आहट से ग्रामीणों का दिनचर्या बदल गया है। बाघ का खौफ यहां पर इस तरह से व्यापत है कि शाम होते ही ग्रामीण घरों में कैद हो जाते हैं, तो दोपहर में भी गांव की सडक़ों में सन्नाटा पसरा रहता है। दहशत के कारण स्कूली बच्चों की उपस्थिति एकाएक घट गई है। चार दिन पहले तक जहां प्राथमिक स्कूल सुरकी में दर्ज 38 बच्चों में से 30 बच्चे पहुंचते थे, अब मुश्किल से 15 से 18 बच्चे ही यहां पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जंगल से यह गांव सटा हुआ है। ऐसे में बाघ कब जंगल से भटकते हुए गांव के अंदर आ जाए। इस बात की चिंता सभी ग्रामीणों को सताती रहती है।
बंद करना पड़ता है गेट
प्राथमिक स्कूल सुरकी में बाहर का गेट तो बंद ही रहता है, साथ में अंदर का चैनल गेट बंद करके पढ़ाई कराना स्कूल की मजबूरी है। प्रधानाध्यापिका श्रीमति सुभद्रा सिंह ने बताया कि कोई बच्चा खेलते-खेलते जंगल की तरफ न चला जाए। इसके लिए चैनल गेट बंद करके रखना पड़ता है। सिर्फ लंच के टाइम ही बच्चे बाहर निकलते हैं। इस दौरान बच्चों के साथ शिक्षक भी रहते हैं। इन्होंने कहा कि बाघ की आहट के चलते कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं।
चौपाल की जगह सन्नाटा
दोपहर इस गांव में महिलाओं की चौपाल की जगह पर सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीण बाबु कोल बताते हैं कि महिलाएं अब विशेष काम से ही बाहर निकलती हैं। यदि इसी तरह का माहौल बना रहा तो ग्रामीणों की होली इस बार फीकी रहेगी। गांव के बाहर ही होली जलाने का काम ग्रामीण करते हैं, लेकिन बाघ की दहशत से अब गांव के अंदर ही होली जलाएंगे।
जुहिला में किया शिकार
रात में जुहिला गांव में बाघ एक जानवर का शिकार किया। जिससे सुरकी पोड़ी के बाद जुहिला गांव में भी बाघ की चर्चा दिनभर ग्रामीणों के बीच बनीं रही। ग्रामीणों का कहना है कि पहले बरही क्षेत्र में बाघ ने एक महिला को मौत के घाट उतार दिया। फिर पालतू मवेशियों का शिकार कर रहा है, फिर भी वन विभाग के अधिकारी किसी तरह से ठोस कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।
 रेस्क्यू करने के लिए बांधवगढ़ से पहुंचे हाथी
 शहर के समीप घूम रहे बाघ को रेस्क्यू करने के लिए बांधवगढ़ नेशनल पार्क से दो हाथी सहित महावत और उनकी टीम कटनी जिले में प्रवेश कर गए। खितौली की तरफ से एक विशेष दल कुंआ पहुंचा यहां से जंगल होते हुए बरही के समीप झिरिया नर्सरी पहुंचेगा। इसके बाद जिला मुख्यालय के समीप सुरकी पोड़ी में
पहुंचेगा। डीएफओ ने इस बात की पुष्टि की है कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क के डॉयरेक्टर को बाघ को रेस्क्यू करने के संबंध में पत्र लिखा गया था। बाघ को देखने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि उसे किस तरह से रेस्क्यू किया जाएगा। इधर हाथियों के निकलने से ग्रामीणों में बाघ को लेकर उत्सुकता बनी रही।

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