डिप्रेशन से जूझ रहे 20% रेजिडेंस डॉक्टर, गंभीर होते हैं हालात

डिप्रेशन से जूझ रहे 20% रेजिडेंस डॉक्टर, गंभीर होते हैं हालात

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-22 06:56 GMT
डिप्रेशन से जूझ रहे 20% रेजिडेंस डॉक्टर, गंभीर होते हैं हालात

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत निवासी चिकित्सकों का मानसिक स्वास्थ्य चिंताजनक है। राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय सर्वे के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर 27 फीसदी  निवासी चिकित्सक मध्यम से गंभीर स्तर के अवसाद से जूझ रहे हैं। इसमें से 7 फीसदी मामलों में हालात गंभीर है। महाराष्ट्र में 20 फीसदी से अधिक निवासी चिकित्सक डिप्रेशन से जूझ रहे हैं।

लंबी कार्यावधि तनाव का कारण

जुलाई के पहले सप्ताह में मेयो के निवासी चिकित्सक  मनु कुमार के आत्महत्या के मामले के बाद शहर के कई निवासी चिकित्सक लंबी कार्यावधि और भारी दबाव में काम करने को मामला उठा चुके हैं। कई डॉक्टरों ने माना कि उन्हें अत्यधिक दबाव में लंबे समय तक काम करना पड़ता है।

16% ने माना-आत्महत्या के विचार आते हैं

राज्य में 16 फीसदी निवासी चिकित्सकों ने माना है कि उन्हें आत्महत्या के विचार आते हैं। ये जानकारी डॉ. मनीष ठाकरे ने दी। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल के साइकैट्री विभाग के डॉ ठाकरे संस्थान में पोजेटिव मेंटल हेल्थ फॉर रेसीडेंट डॉक्टर विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के मेडिकल यूनिट के प्रमुख डॉ. राजेंद्र अगारकर ने कहा कि हाल में डॉक्टरों के खिलाफ हुई हिंसा और आत्महत्या की घटनाओं के बाद यह इस विषय पर किसी भी शासकीय मेडिकल कॉलेज में पहली बार आयोजित सेमिनार है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में  निवासी चिकित्सक बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। उनके कार्यकार को नियंत्रित करना काफी कठिन है, पर इस स्थिति को दोस्ताने तरीके से निपटाए जाने की जरूरत है। डॉ. सुधीर बर्वे ने दो मुद्दों पर प्रकाश डाला- पहला-कैसे जाने कि हम अवसाद की ओर बढ़ रहे हैं और दूसरा-किसी परेशानी वाले समय मरीज के नाराज परिजनों से कैसे पेश आएं। इस तरह हालातों को समझने से ही उससे बाहर निकलने का रास्ता मिल सकता है। निवासी चिकित्सकों के डिप्रेशन में जाने पर उपस्थिति मान्यवरों ने चिंता जताई।


 

Tags:    

Similar News