न्यायिक मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारियों का वर्चुअल प्रशिक्षण शुरू - छोटे एवं कम गंभीर अपराधों में विशेष परिस्थितियों में हो गिरफ्तारी

न्यायिक मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारियों का वर्चुअल प्रशिक्षण शुरू - छोटे एवं कम गंभीर अपराधों में विशेष परिस्थितियों में हो गिरफ्तारी

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-26 11:56 GMT
न्यायिक मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारियों का वर्चुअल प्रशिक्षण शुरू - छोटे एवं कम गंभीर अपराधों में विशेष परिस्थितियों में हो गिरफ्तारी

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज और मप्र राज्य न्यायिक अकादमी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अर्नेश कुमार  बनाम बिहार राज्य मामले में व्यवस्था दी है कि सात वर्ष तक सजा वाले अपराधों में विशेष परिस्थितियों में ही गिरफ्तारी की जानी चाहिए। ऐसे मामलों में गिरफ्तारी आवश्यक होने पर पुलिस अधिकारी को कारण लिखकर ही गिरफ्तारी करना चाहिए। जस्टिस श्रीवास्तव ने यह बात मंगलवार को न्यायिक मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधिकारियों के वर्चुअल प्रशिक्षण के शुभारंभ पर कही। 25 मई से 1 जून तक चलने वाले वर्चुअल प्रशिक्षण के पहले दिन प्रदेश भर के 400 न्यायिक मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर न्यायिक अकादमी के डायरेक्टर रामकुमार चौबे और मप्र पुलिस अकादमी के डायरेक्टर राजेश चावला वर्चुअल रूप से मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने मप्र राज्य न्यायिक अकादमी के डायरेक्टर को निर्देशित किया है कि आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन पर प्रदेश के न्यायिक मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाए।

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